कौन हैं सिद्धू के सलाहकार मलविंदर सिंह माली, टाडा आरोपी के विवादित बयान से संकट में पड़े कांग्रेस अध्यक्ष

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25अगस्त। पंजाब कांग्रेस में एक बार फिर राज्य के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच घमसान शुरू हो गया है और इस बार विवाद का कारण सिद्धू के सलाहकार मलविंदर सिंह माली है।
ज्ञात हो कि हाल ही में मलविंदर सिंह माली को सिद्धू ने सलाहकार नियुक्त किया है जिसके बाद से ही मात्र विपक्षी दल ही नहीं खुद कांग्रेस पार्टी में भी विरोध की सुगबुगाहट हो रही है।
दरअसल इसका कारण मात्र विरोधी दल होना ही नहीं इसके पीछे का जो कारण है वो साफ व्यक्त करता है कि माली और सिद्धू की गतिविधियां भाजपा विरोधी ही नहीं देश विरोधी है।

जिसका संकेत खुद पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दिया है। जी हां रविवार को कैप्टन ने सिद्धू को चेतावनी दी है कि वे कश्मीर और पाकिस्तान जैसे संवेदनशील मुद्दों पर ‘बेतुकी’ टिप्पणी करने वाले अपने एडवाइजरों को कंट्रोल में रखे। जबकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने सोमवार को पार्टी नेतृत्व से आग्रह किया कि वह पार्टी की पंजाब इकाई के अध्यक्ष के दो सलाहकारों की कथित विवादास्पद टिप्पणियों पर आत्ममंथन करें। क्योंकि इस तरह के बयान के कारण पार्टी को नुकसान हो रहा है। तिवारी ने कांग्रेस महासचिव और पंजाब के प्रभारी हरीश रावत से भी अपील की है कि वह उन लोगों के बारे में गंभीरता से आत्ममंथन करें जो जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते और जिनका पाकिस्तान समर्थक रवैया साफ है।

 

दरअसल इन सारें बवाल की जड़ सिद्धू के सलाहकार माली है। माली ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया है जो वाकई देश विरोधी है। बता दें कि माली ने अपने बयान में कहा कि कश्मीर एक अलग देश था जो कश्मीरियों से ताल्लुक रखता था। भारत और पाकिस्तान ने इस पर अवैध कब्जा कर रखा है। माली ने यह भी कहा कि अमरिंदर को सिद्धू की जगह एसएडी प्रधान सुखबीर सिंह बादल को अगले मुख्यमंत्री के रूप में देखकर खुशी होगी। इतना ही माली ने एक फेसबुक पोस्ट में अमेरिका के खिलाफ तालिबान का समर्थन करते हुए एक पोस्ट शेयर किया जिसके कारण कांग्रेस पार्टी की जमकर आलोचना हो रही है।
मलविंदर सिंह माली का व्यक्तिगत जीवन
माली ने एक छात्र नेता के रूप में कॉलेज में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया और 1980 के दशक में पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन के राज्य महासचिव रहे। इसके बाद माली को पंजाब पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) और टाडा (अब निरस्त कानून) के तहत गिरफ्तार किया था। क्योंकि उन्होंने ‘ भड़काऊ’ लेख लिखा था। हालांकि बाद में उन्हें हाईकोर्ट के आदेश के बाद छोड़ दिया गया था। वहीं माली 2016 में रोपड़ के पंजाब के एक सरकारी स्कूल में टीचर के तौर पर रिटायर हुए। वहीं माली अमरिंदर और पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल दोनों के साथ जनसंपर्क अधिकारी रहे हैं। यही नहीं स्कूल टीचर के तौर पर नौकरी करने से पहले माली दिवंगत अकाली नेता गुरचरण सिंह टोहरा के प्रेस सेक्रेटरी थे।

 

आपसी कलह और तकरार के बीच में कांग्रेस इतना उलझ चुका है कि उनके लिए अगले साल विधानसभा चुनाव की तैयारी भी स्पष्ट नजर नही आ रही है। जहां एक तरफ कुछ नेता अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कैप्टन को ही पार्टी का चेहरा बनाने की तैयारी जुटी है तो दूसरी तरफ सिद्धू की अपनी जुगाड़ फेल होती नजर आ रही है। हालांकि पार्टी के दोनो गुटों ने एक-दूसरे को उखाड़ फेंकने के लिए हर तरह के सियासी दांव खेल रहे है। अब बस यहीं देखना है कि अगले विधानसभा चुनाव में जनता किसे पसंद करती है।

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