आचार्य संदीप त्यागी
इंडिया ही आज़ाद हुआ है बेबस हिन्दुस्तान नहीं |
बूढ़े भारत की तो कोई पूछ नहीं पहचान नहीं ||
यदि होता विश्वास नहीं तो संविधान की पुस्तक लो
पहले ही पन्ने पर देखो इंडिया को नत मस्तक हो |
बंद कोष्ठक में होना क्या भारत का अपमान नहीं||
कैसे कह दें भारत अथवा हिन्दुस्तान आज़ाद है|
पचपन सालों का कटु अनुभव क्या कोरी बकवाद है|
क्या अधिकांश दिलों अब भी पुजता इंगलिश्तान नहीं ||
आलीशान इमारत होटल महल कोठियों बंगलों में
केवल बसता है इंडिया और भारत बसता जंगलों में|
भूखा हिन्दुस्तान बना क्या फुटपाथों की शान नहीं ||
देश बना है जलियांवाला बाग़ निहत्थे मरते हैं |
जत्थों के जत्थों में अब तो डायर रोज उभरते हैं |
शहर शहर लगाने के बदले क्या लगते शमशान नहीं||
झुग्गी झोंपड़ियों में देखो नंगा नाच गुलामी का |
घूँट घूँट है जहर पी रही भारत माँ बदनामी का|
क्या गोरे अंग्रेजों से काले ज्यादा शैतान नहीं ||
देशप्रेम की बात करें तो लोग बहुत से हँसते हैं|
क्योंकि वे अपने को अब तो इंडियन प्योर समझते हैं |
आज शहीदों के बलिदानों का कोई सम्मान नहीं ||