सदन में विपक्षी सांसदों के अमर्यादित व्यवहार से भावुक हुए वेंकैया नायडू, बोले- कल जो हुआ, उससे बहुत दुखी हूं

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 11अगस्त। राज्यसभा में मंगलवार को कुछ विपक्षी दलों के सांसदों का हंगामा जारी रहा और हंगामा ऐसा कि उन्हें संसद की मान- मर्यादा का भी ध्यान नही रही है। सदन जैसे पवित्र स्थान पर विपक्षी दलों के सांसदों ने मेज पर चढ़कर रूल बुक फाड़ डाला और नारेबाजी की। सांसदों के इस अमर्यादित आचरण के कारण सभापति एम. वेंकैया नायडू इतने आहत हैं कि उन्होंने आज सदन की कार्यवाही शुरू होते ही एक बयान पढ़कर इसकी भर्त्सना की और इस दौरान वे काफी भावुक हो गए। उनकी आंखों में आंसू छलक आए। उन्होंने काफी कड़ी शब्दों में खड़े होकर बयान को पढ़ा और कहा कि मैं इससे बहुत आहत हूं।

उन्होंने कहा कि  मानसून सत्र के दौरान कुछ सदस्यों में प्रतिस्पर्धा की भावना पनपी है जो दुखद है। किसी भी पवित्र स्थान की अवमामना गलत है। मंदिर का गर्भगृह बहुत महत्वपूर्ण होता है। लोकतंत्र में यह सदन भी एक मंदिर के समान है। यहां महासचिव और रिपोर्टर बैठते हैं। कल कुछ सदस्यों ने यहां गलत कार्य किया और सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाई। उल्लेखनीय है कि कल विपक्षी दलों के सदस्य कृषि कानूनों और पेगासस जासूसी मामले को लेकर हंगामा कर रहे थे । आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, तृणमूल कांग्रेस की मौसम नूर, कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के शिवदासन और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम ने महासचिव के मेज पर बैठकर जोरदार नारेबाजी की। ये सदस्य मेज भी बजा रहे थे। अन्य सदस्य शाेर गुल कर रहे थे। इससे पहले कांग्रेस के रिपुन बोरा, दीपेन्द्र हुड्डा और कांग्रेस के राजमणि पटेल भी मेज पर खडे हो गये थे।

 

उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकेया नायडू ने कल की घटना पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि कल जो कुछ सदन में हुआ, उसकी निंदा करने के लिए उनके पास शब्द नहीं हैं। उन्होंने कहा कि संसद लोकतंत्र का सर्वोच्च मंदिर होता है और इसकी पवित्रता पर आंच नहीं आने देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत दुख के साथ यह कहने के लिए खड़ा हुआ हूं कि इस सदन की गरिमा जिस तरह से भंग की गई और वो भी प्रतिद्वंद्विता की भावना से, वह बहुत चिंताजनक है। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे जैसे विभिन्न धर्मों के पवित्र स्थल हैं, वैसे ही देश के लोकतंत्र का मंदिर है हमारी संसद। टेबल एरिया, जहां महासचिव और पीठासीन पदाधिकारी बैठते हैं, उसे सदन का गर्भगृह माना जाता है।’

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.