समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 16जुलाई।कांवड़ यात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त नजर आ रही है। उत्तर प्रदेश सरकार को कोविड-19 के मद्देनजर प्रतीकात्मक यात्रा का भी आयोजन नहीं करने पर विचार करने को कहा है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से इस बारे में 19 जुलाई तक जवाब देने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जीने का अधिकार सर्वोपरि है और हर तरह की भावनाएं संविधान के अनुच्छेद 21 के अधीन हैं।
इस बीच केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि राज्यों को कांवड़ यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी और गंगा जल की व्यवस्था निर्दिष्ट स्थानों पर टैंकरों द्वारा की जाएगी।
कोर्ट में केंद्र की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि हरिद्वार से गंगाजल लेकर कांवड़ियों का अपने इलाके के मंदिर तक ले जाना कोरोना संक्रमण के मद्देनजर उचित नहीं है इसलिए टैंकर के ज़रिए गंगाजल को जगह-जगह उपलब्ध करवाया जाए। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश को एक बार दोबारा विचार करने को कहा और सोमवार तक समय दिया है। कोर्ट ने कहा,’हम आपको विचार का एक और मौका देना चाहते हैं ताकि आप इस पर सोचें कि यात्रा को अनुमति देनी है या नहीं।’
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा को रद कर दिया है लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरी एहतियात बरतते हुए इस यात्रा की अनुमति दे दी है। योगी के इस आदेश पर हैरानी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और केंद्र को नोटिस जारी किया था।