आतंकी संगठनों के साथ काम करने के आरोप में 11 सरकारी कर्मचारी बर्खास्त, आतंकी सैयद सलाउद्दीन के बेटों का भी नाम शामिल

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समग्र समाचार सेवा
जम्मू, 11जुलाई। जम्मू कश्मीर सरकार ने आतकंवादी संगठनों के सहयोगी के रूप में कथित तौर पर काम करने को लेकर अपने 11 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है. इनमें दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. इन 11 कर्मचारियों में अनंतनाग से चार, बडगाम से तीन और बारामूला, श्रीनगर, पुलवामा तथा कुपवाड़ा से एक-एक हैं. उन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत बर्खास्त किया गया है. इस अनुच्छेद के तहत कोई जांच नहीं होती है।
इसमें अंतरराष्ट्रीय आतंकी सैयद सलाउद्दीन के 2 बेटों का भी नाम शामिल है। आतंकी कनेक्शन और टेरर फंडिंग के आरोप में यह कार्रवाई की गई है। टेरर फंडिंग केस की जांच में NIA को सैयद सलाउद्दीन के बेटों के खिलाफ अहम सबूत मिले थे जिसके बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने उन्हें नौकरी से निकाला है।
आतंकी सैयद सलाउद्दीन का बेटा शकील अहमद श्रीनगर के शेरे कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस में काम करता था, जबकि उसका दूसरा बेटा शाहिद यूसुफ श्रीनगर में कृषि विभाग में काम करता था

अधिकारियों ने बताया कि बर्खास्त किये गये 11 कर्मचारियों में चार शिक्षा विभाग में, दो जम्मू कश्मीर पुलिस में और कृषि, कौशल विकास, बिजली,स्वास्थ्य विभाग तथा एसकेआईएमएस (शेर ए कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) में एक-एक कर्मचारी कार्यरत था. अनंतनाग जिले के दो शिक्षक जमात-इस्लामी (जेईआई) और दुख्तारन-ए-मिल्लत (डीईएम) की विचारधारा का समर्थन करने और प्रचार करने सहित राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो कॉन्स्टेबल पर आरोप है कि पुलिस विभाग के भीतर से आतंकवाद का समर्थन किया और आतंकवादियों को आंतरिक जानकारी और मदद भी प्रदान की है।

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में लगाम लगाने के लिए विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है। यह टास्क फोर्स राज्य की सुरक्षा के खिलाफ गतिविधियों शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करती है। इन 11 कर्मचारियों के खिलाफ जो आरोप लगे हैं, उन पर कोई जांच नहीं की गई, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (C) के तहत सरकार के पास यह अधिकार है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को बिना जांच कमेटी का गठन किए बर्खास्त किया जा सकता है। इसी अधिकार का उपयोग करते हुए कश्मीर सरकार ने इन आरोपियों को नौकरी ने निकाला है।

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