समग्र समाचार सेवा
देहरादून, 2जुलाई। हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा को स्थगित जरूर कर दिया है, लेकिन इस फैसले को लेकर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी है। जानकाकी के मुताबिक राज्य सरकार के विधि विभाग और शासन के अफसरों की एक टीम दिल्ली पहुंच चुकी है।
राज्य सरकार ने एक जुलाई से सीमित संख्या में बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री की यात्रा स्थानीय लोगों के लिए खोलने का फैसला लिया था। 25 जून को कैबिनेट ने यह निर्णय लिया और 28 जून की देर रात मुख्य सचिव ने एसओपी भी जारी की थी। इससे पहले 28 जून को ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के तर्क को अमान्य करते हुए यात्रा स्थगित करने के आदेश दिये। बुधवार को शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की विधि विभाग ने राय दी है। दिल्ली पहुंचे अफसर केस तैयार कर रहे हैं।
कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी को देखते हुए सरकार ने एक जुलाई से चारधाम यात्रा की शुरुआत करने का निश्चय किया। प्रथम चरण में तीन जिलों के स्थानीय निवासियों को कोरोना जांच की निगेटिव रिपोर्ट के साथ अपने-अपने जिले के धामों में एक जुलाई से दर्शन की अनुमति देने का निर्णय लिया गया। इसके बाद 11 जुलाई से राज्य के सभी जिलों और फिर परिस्थिति की समीक्षा कर अन्य राज्यों के लिए यात्रा खोलने पर सहमति बनी थी।
हालांकि इस बीच हाई कोर्ट ने चारधाम यात्रा से संबंधित मामले में सरकार को पुख्ता व्यवस्था करने के साथ ही विस्तृत एसओपी तैयार करने के निर्देश दिए। इस कड़ी में सोमवार को एसओपी प्रस्तुत की गई, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने चारधाम यात्रा शुरू करने के कैबिनेट के निर्णय पर रोक के आदेश पारित किए। इसके बाद सरकार ने यात्रा स्थगित करते हुए सोमवार को जारी कोविड कर्फ्यू की एसओपी में मंगलवार को संशोधन कर दिया। एसओपी से यात्रा शुरू करने का उल्लेख हटा दिया गया। साथ ही हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही थी।
सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के क्रम में यात्रा शुरू करने का निर्णय स्थगित किया गया है। सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प है। याचिका दाखिल करने की प्रक्रिया होती है, जिसे लेकर कसरत चल रही है।
उन्होंने कहा कि यात्रा को लेकर सरकार का मन पूरी तरह साफ है। चारधाम में पूरी व्यवस्था और तैयारियां होने के बाद ही तीन जिलों के निवासियों को धामों में दर्शन की अनुमति देने का निर्णय लिया गया। इसके लिए कोरोना जांच की निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य की गई। तीर्थ पुरोहितों, कर्मचारियों के टीकाकरण की व्यवस्था की गई। चारों धामों में यात्रियों की 750 की संख्या निर्धारित की गई। इन सब उपायों से कोरोना संक्रमण की संभावना नहीं के बराबर थी।