टीकाकरण से जुड़े मिथकों को दूर के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जारी किए दिशा निर्देश
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 11जून। भारत सरकार कोविड–19 के टीकों की बर्बादी को रोकने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास कर रही है और इस महामारी से लड़ने के लिए राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों को टीके की खुराकों का कारगर ढंग से उपयोग करने के बारे में मार्गदर्शन कर रही है।
मीडिया की कुछ खबरों में यह कहा गया था कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा टीकों की बर्बादी को 1% से कम रखने पर जोर दिया जाना अव्यावहारिक और अनुचित है।
यहां यह स्पष्ट किया जाता है कि पिछले सौ सालों में वैश्विक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोविड–19 महामारी एक अभूतपूर्व घटना रही है, जिसके परिणामस्वरूप दुनिया के आपसी संवाद और व्यवहार करने का तरीका बदल गया है। लोगों को कोविड–19 के संक्रमण और उससे संबंधित मृत्यु दर एवं रुग्णता से बचाने के लिए कोविड–19 के खिलाफ टीकाकरण महत्वपूर्ण है। कोविड – 19 महामारी को खत्म करने के लिए सुरक्षित और कारगर टीकों तक न्यायसंगत पहुंच अहम है। टीकों के विकास में बहुत समय लगता है और कई बार इन टीकों की मांग आपूर्ति से अधिक हो जाती है। इसलिए, इस बात की निगरानी करना और यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि इस महामारी को खत्म करने के लिए इस कीमती उपकरण का उपयोग अधिकतम और विवेकपूर्ण तरीके से हो। वैश्विक स्तर पर कमी के साथ कोविड–19 का टीका सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी एक आवश्यक वस्तु है। इसलिए, इस टीके की बर्बादी को कम किया जाना चाहिए और इसे न्यूनतम स्तर पर रखा जाना चाहिए ताकि आगे कई लोगों के टीकाकरण में मदद हो पाए। वास्तव में, माननीय प्रधानमंत्री ने भी समय-समय पर टीकों की कम से कम बर्बादी को सुनिश्चित करने पर जोर दिया है, ताकि टीकों का अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचना सुनिश्चित हो सके।
टीकों की बर्बादी में कमी आने का अर्थ है अधिक लोगों को टीका लगाना और कोविड–19 के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करना। बचाई गई प्रत्येक खुराक का अर्थ है एक और व्यक्ति को टीका लगाना। भारत इनबिल्ट ई-विन (इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क) सिस्टम, जोकि एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, के साथ कोविड–19 वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (को-विन) का उपयोग कर रहा है, जो न केवल टीके के लाभार्थियों को पंजीकृत करता है बल्कि टीकों पर नजर रखता है और राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तर पर 29,000 कोल्ड चेन बिंदुओं परभंडारणके तापमान की वास्तविक समय में निगरानी की सुविधा प्रदान करता है। वर्तमान में इस्तेमाल की जा रही कोविड–19 के टीकों की ‘ओपन वायल पॉलिसी’ नहीं है, यानी टीके की शीशी खोलने के बाद इसे एक निर्धारित समय के भीतर इस्तेमाल करना होगा। टीका देने वाले व्यक्ति को यह सलाह दी जाती है कि वह प्रत्येक शीशी को खोलने की तारीख और समय को अंकित करे और टीकों की सभी खुली शीशियों को खोले जाने के 4 घंटे के भीतर उपयोग करने / फेंक देने की जरूरत है। कई राज्यों ने कोविड–19 टीकाकरण का इस तरह से आयोजन किया है कि न केवल कोई बर्बादी नहीं हुई है, बल्कि वे शीशी से अधिक खुराक निकालने में सक्षम रहे हैं और इस प्रकार वे एक नकारात्मक बर्बादी दिखाते हैं। इसलिए, वैक्सीन की बर्बादी 1% या उससे कम रखने की उम्मीद करना बिल्कुल भी अनुचित नहीं है। यह उचित, वांछनीय और हासिल करने योग्य है।
इसके अलावा, सभी राज्यों/ केन्द्र-शासित प्रदेशों को यह भी सलाह दी गई है कि प्रत्येक टीकाकरण सत्र में कम से कम 100 लाभार्थियों को टीका दिया जाने की अपेक्षा है। हालांकि, दूरस्थ और कम आबादी वाले क्षेत्रों के मामले में, राज्य यह सुनिश्चित करते हुए कि टीकों की बर्बादी न होकम संख्या में लाभार्थियों के लिए एक टीकाकरण सत्र आयोजित कर सकते हैं। टीकाकरण के एक सत्र की योजना तभी बनाई जाए, जब पर्याप्त लाभार्थी उपलब्ध हों।
टीकाकरण के बाद निगरानी के समय का उपयोग लाभार्थियों को कोविड उपयुक्त व्यवहार, टीकाकरण के बाद किसी भी संभावित प्रतिकूल घटनाओं (एईएफआई) और ऐसी प्रतिकूल घटना के होने पर कहां जानाचाहिए आदिके बारे में मार्गदर्शन करने के लिए किया जाता है । किसी भी टीकाकरण कार्यक्रम के तहत, यह सुनिश्चित करने के लिए सही और बारीक योजना बनाना जरूरी है कि हम न केवल उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग करें बल्कि उसके कवरेज को बेहतर करने के लिए अधिक से अधिक लाभार्थियों का टीकाकरण भी करें। राज्यों/केन्द्र- शासित प्रदेशों को नियमित रूप से इस बारे में मार्गदर्शन किया जा रहा है। इसके अलावा, सभी स्तरों पर कोविड–19 टीकाकरण अभियान की नियमित समीक्षा की जा रही है, जिसमें टीकों की बर्बादी के विश्लेषण को शामिल करते हुए उन क्षेत्रों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जहां इस तरह की बर्बादी अधिक है ताकि त्वरित सुधारात्मक उपाय किए जा सकें। संबंधित अधिकारियों और कोविड–19 टीकाकरण केंद्र (सीवीसी) के प्रबंधकों को भी यह निर्देश दिए गए हैं कि वे टीकाकरण सत्रों की योजना कुशलतापूर्वक बनाएं ताकि टीकों की बर्बादी की दर को कम से कम रखा जा सके।