भगवान को बार-बार याद करो

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

अरविंद भारद्वाज।
एक हाथी है, उसे नहला धुलाकर छोड़ दो, तब फिर वह क्या करेगा ? मिट्टी में खेलेगा और अपने शरीर को फिर गंदा कर लेगा, कोई उस पर बैठे तो उसका शरीर भी गंदा अवश्य होगा, “लेकिन यदि हाथी को स्नान कराने के बाद पक्के बाड़े में बाँध दिया जाए,” तब फिर अपना शरीर गंदा नहीं कर सकेगा ।
👉 “मनुष्य का मन भी हाथी के समान है ।” एक बार ध्यान-साधना और भगवान के भजन से वह शुद्ध हो गया तो उसे स्वतंत्र नहीं कर देना चाहिए । इस संसार में पवित्रता भी है, गंदगी भी है, “मन का स्वभाव है, वह गंदगी में जाएगा और मनुष्य देह को दूषित करने से नहीं चूकेगा,” इसलिए उसे गंदगी से बचाए रखने के लिए एक बाड़े की जरूरत होती है, जिसमें वह घिरा रहे । गंदगी की संभावनाओं वाले स्थानों में न जा सके ।
👉 “ईश्वर का भजन, उसका ध्यान एक बाड़ा है, जिसमें मन बंद रखा जाना चाहिए, तभी सांसारिक संसर्ग से उत्पन्न दोष और मलिनता से बचाव संभव है ।” भगवान को बार-बार याद करते रहोगे तो मन अस्थायी सुखों के आकर्षण और पाप से बचा रहेगा और अपने जीवन के स्थायी लक्ष्य की याद बनी रहेंगी । “उस समय दूषित वासनाओं में पड़ने से स्वतः भय उत्पन्न होगा और मनुष्य उस पापकर्म से बच जाएगा, जिसके कारण वह बार-बार अपवित्रता और मलिनता उत्पन्न कर लिया करता है ।”
अगर संभव हो सके तो आप इस पर भी अवश्य ध्यान दें क्योंकि आप यह कर सकते हैं 🌳🌳🪴👇👇👇
5 जून को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस देशभर में मनाया जाएगा ! जिसके लिए आप सभी का योगदान अति आवश्यक है आप अपने हाथ से एक पौधा अवश्य लगाएं
पर्यावरण संरक्षण हेतु फलदार वृक्ष लगाकर
जल – वायु परिवर्तन को शुद्ध करते हुए , सृष्टी का सौंदर्य को बढ़ावा दें
अपने खून के रिश्तो का सम्मान करे !
मित्रता और भक्ति मे कोई अंतर नही है
मित्र हमेशा एक दूसरे के भक्त ही होते है।
इनमे कोई बड़ा या छोटा नही होता।
इसलिए पौराणिक परंपरागत तीज-त्यौहारो को मनाते हुए
सामूहिक परिवारिक रूप से फलदार वृक्ष अवश्य ही लगाए। अगर संभव हो सके तो हवन- यज्ञ का आयोजन करें।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.