स्निग्धा श्रीवास्तव
समग्र समाचार सेवा
उज्जैन, 1जून। हम सभी जानते है कि भारत में ही सभी मंदिरों की अपनी अलग अलग महिमा है अलग- अलग गाथा है। हमारा भारत देश में अपने युनिक सस्कृति और धार्मिक स्थानों के काऱण ही पूरे विश्न में प्रसिद्ध है। लेकिन भारत एक स्थान ऐसा है जिसे स्वर्ग की संज्ञी दी गई है। जी हां वह स्थान मध्य प्रदेश का एक मात्र स्थान उज्जैन… जी हां यही वो स्थान है जहां एक मात्र शक्तिपीठ भी है, ज्योतिर्लिंग भी है, कुम्भ महापर्व का भी आयोजन किया जाता है।
यही वजह है कि उज्जैन को अत्यंत पवित्र भूमि माना जाता है। ग्रंथों में तो इस स्थान को स्वर्ग की उपाधि से नवाजा गया है ..
यहाँ साढ़े तीन काल विराजमान है
“महाँकाल,कालभैरव, गढ़कालिका और अर्धकाल भैरव।”
यहाँ 84 महादेव है,यही सात सागर है।।
यहाँ तीन गणेश विराजमान है- “चिंतामन,मंछामन, इच्छामन”
उज्जैन में विष्णु सागर के पास प्राचीन श्री राम जनार्दन मंदिर है दोनों ही मंदिरों में श्रीराम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां चलित स्वरूप में हैं। मूर्तियों में श्रीराम और लक्ष्मण वनवासी रूप में हैं।
“ये भगवान कृष्ण की शिक्षा स्थली है।।”
ये मंगल ग्रह की उत्पत्ति का स्थान है।।
“यही वो स्थान है जिसने महाकवी कालिदास दिए।”
उज्जैन विश्व का एक मात्र स्थान है जहाँ अष्ट चरिंजवियो का मंदिर है।
यह वह 8 देवता है जिन्हें अमरता का वरदान है (बाबा गुमानदेव हनुमान अष्ट चरिंजीवि मंदिर)
“राजा विक्रमादित्य ने इस धरा का मान बढ़ाया।।”
विश्व की एक मात्र उत्तर प्रवाह मान क्षिप्रा नदी!!
“इसके शमशान को भी तीर्थ का स्थान प्राप्त है चक्र तीर्थ।
यहां नौ नारायण और सात सागर है।
भारत को सोने की चिड़िया का दर्जा यहां के राजा विक्रमादित्य ने ही दिया था इनके राज्य में सोने के सिक्के चलते थे सम्राट राजा विक्रमादित्य के नाम से ही विक्रम संवत का आरंभ हुआ जो हर साल चैत्र माह के प्रति प्रदा के दिन मनाया जाता है उज्जैन से ही ग्रह नक्षत्र की गणना होती है कर्क रेखा उज्जैन से होकर गुजरती है
और तो और पूरी दुनिया का केंद्र बिंदु है।
महाकाल जी का मंदिर
_महाभारत की एक कथानुसार उज्जैन स्वर्ग है।।