कल्पना शक्ति के प्रयोग

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अरविंद भारद्वाज।

सुबह उठते ही पहली बात, कल्पना करें कि तुम बहुत प्रसन्न हो। बिस्तर से प्रसन्न-चित्त उठें-, प्रफुल्लित, आशा-पूर्ण– जैसे कुछ अनंत बहुमूल्य अच्छा होने जा रहा हो। संकल्प लें :- मैं शांत स्वरुप आत्मा हूँ। मैं खुशनसीब आत्मा हूँ। मैं परमात्मा पिता की परम प्रिय संतान हूँ।मैं धनवान आत्मा हूँ।

सात दिनों के भीतर तुम पाओगे कि तुम्हारा पूरा वर्तुल, पूरा ढंग, पूरी तरंगें बदल गई हैं।

✽ जब रात को तुम सोते हो तो कल्पना करो कि तुम परमात्मा के हाथों में जा रहे हो….जैसे अस्तित्व तुम्हें सहारा दे रहा हो, तुम उसकी गोद में सोने जा रहे हो। बस एक बात पर निरंतर ध्यान रखना है कि नींद के आने तक तुम्हें कल्पना करते जाना है ताकि कल्पना नींद में प्रवेश कर जाए, वे दोनों एक दूसरे में घुलमिल जाएं।निरंतर जाप दे दें :- मैं शांत स्वरुप आत्मा हूँ , जब तक नींद न आये , जाप चलता रहे।

✽ किसी नकारात्मक बात की कल्पना मत करें, क्योंकि जिन व्यक्तियों में निषेधात्मक कल्पना करने की क्षमता होती है, अगर वे ऐसी कल्पना करते हैं तो वह वास्तविकता में बदल जाती है।

✽ अगर तुम कल्पना करते हो कि तुम बीमार पड़ोगे तो तुम बीमार पड़ जाते हो। अगर तुम सोचते हो कि कोई तुमसे कठोरता से बात करेगा तो वह करेगा ही।

तुम्हारी कल्पना उसे साकार कर देगी। तो जब भी कोई नकारात्मक विचार आए तो उसे एकदम सकारात्मक सोच में बदल दें। उसे नकार दें, छोड़ दें उसे,फेंक दें।

✽ एक सप्ताह के भीतर अनुभव होने लगेगा कि आप बिना किसी कारण के प्रसन्न रहने लगे हो।परमात्मा की मदद मिल रही है।
प्रैक्टिकल में कर के देखें।

“दूरियाँ धुएं की तरह हैं , जितनी
बढाएंगे , उतनी घुटन होगी।
” नजदीकियाँ ” धुंध की तरह हैं ,
जितना पास आएंगे , उतनी राहत होगी……!!
किसी को “डर” है
कि भगवान देख रहा है और किसी को “भरोसा” है कि भगवान देख रहा है।
इसलिए ऊपर वाले पर भरोसा रखें और बस सकारात्मक सोचते रहे सोचते रहे सोचते रहे एक दिन आपकी सोच जरूर कारगर साबित होगी और आप अपने अंदर बदलाव महसूस करेंगे इस कोरोना काल में दिक्कत है,और परेशानियां सबके साथ हैं उसका हल भी हम सब के पास ही है, अपने परिवार में खुश रहे अपने परिवार के सदस्यों को खुश रखें कोई भी नकारात्मक बात ना करें और ना ही किसी को करने दे उससे आपका और आपके व्यक्तित्व का अवश्य निखार होगा और आप सकारात्मकता की तरफ आगे बढ़ेंगे
अरविंद भारद्वाज

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