कोरोना की तीसरी लहर? मोदी से दूरी, गडकरी हैं जरूरी!

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प्रदीप द्विवेदी।
इशारों में ही सही, संघ और बीजेपी के कई नेताओं ने यह मान लिया है कि नरेंद्र मोदी नाकामयाब रहे हैं.

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आज के हालात में क्या करना चाहिए? और, देश में कोरोना की तीसरी लहर आती है, तो क्या करना चाहिए?

सबसे पहली जरूरत और बीजेपी की बड़ी जिम्मेदारी तो नेतृत्व परिवर्तन की है!

इन सात वर्षों में नरेंद्र मोदी केवल अपनी इमेज पर फोकस रहे हैं और एकतरफा मनमाने निर्णय करते रहे हैं. यही वजह है कि बीजेपी से जुड़े तमाम संगठन भी उनकी हर गलती को दबाते आए हैं, छुपाते आए हैं.

लेकिन, जो कुछ जनता देख रही है, महसूस कर रही है, उसका क्या?

ऐसा नहीं है कि बीजेपी के पास योग्य नेता नहीं है, नितिन गडकरी जैसे नेता भी हैं, जो काम पर ज्यादा फोकस हैं. यदि समय रहते गडकरी जैसे नेता को नेतृत्व नहीं दिया गया तो देश का तो भारी नुकसान होगा ही, बीजेपी और उससे जुड़े विभिन्न संगठनों की साख पर भी सवालिया निशान लग जाएगा?

कोरोना से लड़ने में सबसे सशक्त हथियार बनी कोरोना वैक्सीन की उपलब्धता के मोर्चे पर ही मोदी सरकार असफल साबित हुई है.यही कारण है कि कोविड-19 के खिलाफ चल रहा वैक्सीनेशन ड्राइव कई राज्यों में वैक्सीन की कमी के चलते रुका हुआ है. वैक्सीन का आयात करने, प्रोडक्शन बढ़ाने और दूसरी फार्मा कंपनियों से भी वैक्सीन का फॉर्मूला शेयर करने की चर्चाएं जारी हैं.

इस बीच खबर है कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि- देश में कई दूसरी कंपनियों को भी कोविड वैक्सीन बनाने का लाइसेंस दिया जाना चाहिए.

हालांकि, आज उन्होंने ट्वीट कर अपने बयान पर स्पष्टीकरण भी दिया है कि कल स्वदेशी जागरण मंच के एक कार्यक्रम में मैंने कोविड वैक्सीन का प्रोडक्शन बढ़ाने का सुझाव दिया था. मुझे तब तक जानकारी नहीं थी कि रसायन व उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने इस संबंध में सरकार की कोशिशों की जानकारी दी थी. कॉन्फ्रेंस के बाद उन्होंने मुझे भी बताया कि भारत सरकार पहले ही बारह अलग प्लांट, कंपनियों की ओर से वैक्सीन निर्माण शुरू करने की कोशिशें कर रही है और इन कोशिशों से निकट भविष्य में प्रोडक्शन में तेजी आने की उम्मीद है.
कितने आश्चर्य की बात है कि मोदी सरकार क्या कर रही है, उसकी जानकारी गडकरी जैसे सरकार के सबसे वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री को भी नहीं है?

गडकरी ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि यदि टीके की आपूर्ति के मुकाबले उसकी मांग अधिक होगी तो इससे समस्या खड़ी होगी, इसलिए एक कंपनी के बजाय 10 और कंपनियों को टीके का उत्पादन करने में लगाया जाना चाहिए. इसके लिये टीके के मूल पेटेंट धारक कंपनी को दूसरी कंपनियों द्वारा दस प्रतिशत रॉयल्टी का भुगतान किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा था कि देश भर की लैब्स में वैक्सीन का फॉर्मूला शेयर किया जाना चाहिए. यह सुझाव पहले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी दे चुके हैं.

आम भाजपाई को तो छोड़िए, मोदी राज में बीजेपी के विधायकों के ही क्या हाल हैं, यह यूपी के सीतापुर की सदर सीट से बीजेपी विधायक राकेश राठौर के बयान से समझा जा सकता है.

खबरों की माने तो उनका एक वीडियो है जिसमें वे कह रहे हैं कि- आखिर विधायकों की हैसियत ही क्या है? हम ज्यादा बोलेंगे तो देशद्रोह, राजद्रोह हम पर भी तो लग सकता है!
याद रहे, यूपी में हाल ही कोरोना की वजह से कई विधायकों की जान चल गई है, जिसमें दल बहादुर कोरी (रायबरेली), केसर सिंह गंगवार (नवाबगंज), सुरेश कुमार श्रीवास्तव (लखनऊ वेस्ट), रमेश चंद्र दिवाकर (औरैया सदर) आदि शामिल हैं.

सियासी सयानों का मानना है कि यदि देश के हालात सुधारने हैं तो- मोदी से दूरी, गडकरी हैं जरूरी!

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