मुस्लिम बहुल सीटों पर हार मिलने के बाद भाजपा ने असम के अल्पसंख्यक मोर्चे को किया भंग

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समग्र समाचार सेवा,
दिल्ली, 7 मई।   2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने का नारा सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास, लेकिन मोदीजी अपने ही भाषण में फंस चुकें है वो भी ऐसे की उन्हें बंगाल और असम में भारी हार का सामना करना पड़ा।

असम में लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज होने वाली  बीजेपी को विधानसभा चुनाव में 126 में से 60 सीटों पर जीत मिली है। बंगाल और असम में मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर भाजपा को हार के बाद असम के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने प्रदेश में पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे को भंग कर दिया है। असम विधानसभा चुनावों में भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा का प्रदर्शन निम्न स्तर का रहा। प्रदर्शन इतना खराब था कि दल को अल्पसंख्यक मोर्चा के पंजीकृत सदस्यों के एक भी वोट नहीं मिले। इसी के मद्देनजर ये फैसला लिया गया है।

बता दें कि असम में मुस्लिम बहुल इलाकों की सीटों पर जीत के लिए बीजेपी ने जानिया, जलेश्वर, बाघबार, दक्षिण सलमारा, बिलासीपारा पश्चिम, लहरीघाट, रूपोहीहाट और सोनाई से उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। वहीं भाजपा के साथ गठबंधन में असम गण परिषद (AGP) ने मुस्लिम बहुल इलाकों की सीटों- चेंगा, जलगांव और जमुनामुख से उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। लेकिन  इन सभी सीटों पर बीजेपी और एजीपी से बड़े मारजीन से हारी।

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