समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22अप्रैल। भारत में लगातार कोरोना मामलें बढ़ते जा रहे है। कोरोना मामलों के साथ रेमडेसिवीर इंजेक्शन की भी मांग बढ़ती जा रही है। बता दें कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन कोरोना मरीजों की इम्युनीटि बूस्ट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए कोरोना मरीजों की सख्या बढ़ने के साथ रेमडेसिवीर की मांग भी बढ़ने लगी है। लेकिन विशेषज्ञो का मानना है कि कोरोना संक्रमित मरीज का इलाज कर रहे डॉक्टरों को रेमडेसिवीर को आखिरी दवा नहीं कहना चाहिए। जो डॉक्टर इसे कोरोना मरीजों के इलाज के लिए रामबाण समझ रहे हैं वो गलती कर रहे हैं. एम्स के पूर्व डॉयरेक्टर ने बताया कि रेमडेसिवीर को लेकर 20 नवंबर 2020 को एक रिपोर्ट पब्लिश हुई थी, जिसमें कहा गया था कि WHO रिकमेंड्स Remdesivir against covid 19 patients.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इंटरनेशनल गाइडलाइन डेवलपमेंट ग्रुप के साथ एक रिपोर्ट तैयार की गई थी जिसमें 28 क्लीनिकल एक्सपर्ट थे और 4 पेशंट पार्टनर और 1 एथिक्स डील करने वाले थे. ये गाइडलाइन नॉन प्रॉफिट संगठन मैजिक ने डेवलप की थी और तीन ट्रायल को भी शामिल किया गया. ये डेटा 7 हजार मरीजों को मिलाकर बना, जिसमें महत्वपूर्ण बात निकलकर सामने आई कि मृत्युदर पर इसका असर नहीं था और मरीजों के वेंटिलेशन पर असर नही पड़ा।
हर किसी को रेमडेसिवीर देना ठीक नहीं है। कोरोना मरीजों पर अभी कोई पुख्ता तरीके से कारगर दवा नहीं है तो वही जानकारों का कहना है कि कोरोना के मरीज वक्त के साथ खुद ही ठीक हो जाते हैं लेकिन मॉनिटरिंग करने की जरूरत होती है। मल्टी विटामिन, विटामिन सी, steroid ये सब देना ठीक होता है सिर्फ रेमडेसिवीर ही नहीं है।