समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,25 मार्च।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सेना में महिला अफसरों को स्थायी कमीशन देने की प्रक्रिया को भेदभावपूर्ण बताया है। कोर्ट ने गुरुवार को महिला एसएससी अधिकारियों की सेना में स्थायी कमीशन देने की मांग को लेकर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सेना की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) मूल्यांकन की प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण और भेदभावपूर्ण बताया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया कि वह एक महीने के भीतर महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन देने पर विचार करे और नियत प्रक्रिया का पालन करते हुए दो महीने के भीतर इन्हें स्थायी कमीशन दें।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जिस प्रक्रिया के माध्यम से महिला अधिकारियों का मूल्यांकन किया गया, वह लैंगिक भेदभाव की चिंताओं को दूर नहीं करता है। पिछले साल कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले में इसे लेकर चिंता जताई गई थी। कोर्ट ने कई महिला अफसरों द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर फैसला सुनाया। इसमें कोर्ट द्वारा स्थायी आयोग, पदोन्नति और अन्य लाभ देने को लेकर पिछले साल फरवरी में जारी निर्देशों को लागू करने की मांग की गई है।
SC begins to pronounce its verdict on a batch of petitions filed by women officers for permanent commission in Indian Army & Navy, seeking a direction that contempt proceedings be initiated against those who had allegedly failed in their duty to comply with SC's earlier judgement
— ANI (@ANI) March 25, 2021
कोर्ट ने इस दौरान निर्देश दिया कि एक महीने के भीतर महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर विचार किया जाए और प्रक्रिया के तहत दो महीने के भीतर इन्हें स्थायी कमीशन दी जाए। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सेना द्वारा अपनाए गए मानकों की कोई न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती है। कोर्ट ने कहा कि जब एक महिला सेना में करियर चुनती है, तो कड़ी परीक्षाओं को पार करती है। महिलाओं पर जब बच्चा संभाने की जिम्मेदारी और घरेलू काम की जिम्मेदारी आती है, तो यह और मुश्किल हो जाता है।
बता दें कि पिछले 7 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में केंद्र की दलील को खारिज करते हुए उन सभी महिला अफसरों को स्थायी कमीशन देने को कहा था, जो इस विकल्प को चुनना चाहती हैं। महिलाओं को कमांड पोस्ट न देने के पीछे केंद्र ने अपनी दलील में शारीरिक क्षमताओं और सामाजिक मानदंडों का हवाला दिया था। कोर्ट ने इसे लेकर कहा था कि महिलाओं को लेकर मानसिकता बदलनी चाहिए। महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं।
बता दें कि सेना में स्थायी कमीशन के लिए 80 महिला अधिकारियों की तरफ से याचिकाएं दायर की गईं थीं, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है।