समग्र समाचार सेवा
इंदौर,19 मार्च।
11 मार्च को तेंदुए के हमले में घायल 11 महीने की बच्ची ने आखिरकार शुक्रवार को दम तोड़ दिया। बता दें कि तेंदुए के हमले में पांच लोग घायल हुए थे, जिसमें एक वनकर्मी भी शामिल था। खास बात यह कि वन विभाग ने घायलों के इलाज के लिए सिर्फ दो लाख रुपये की राशि उनके खाते में जमा की थी लेकिन उनके इलाज पर ही करीब चार लाख रुपये खर्च हो गया।
गौरतलब है कि 10 मार्च को खंडवा रोड स्थित झाबुआ फार्म हाउस पर तेंदुए को देखे जाने की सूचना वन विभाग को मिली थी। इसके बाद वन विभाग की रेस्क्यू टीम तेंदुए को पकड़ने में लगी। छह घंटे की मशक्कत के बाद भी टीम को सफलता नहीं मिली थी। रात में तेंदुए को पकड़ने के लिए फार्म हाउस में बकरी बांधकर पिंजरा भी लगाया लेकिन वह उसमें कैद नहीं हुआ। 11 मार्च को सुबह आठ बजे टीम ने दोबारा रेस्क्यू शुरू किया। थोड़ी देर तक खेत में सर्चिंग चलती रही। बाद में फार्म हाउस से निकलकर खेतों के रास्त तेंदुआ लिंबोदी स्थित शिवधाम कालोनी में पहुंच गया। यहां एक रहवासी पर सबसे पहले तेंदुआ लपका। फिर निर्माणाधीन भवन में चौकीदार सुखलाल के घर में तेंदुआ घुसा। घर में तेंदुए को सबसे पहले उसकी बड़ी बेटी आरती ने देखा और चिल्लाई। इस पर तेंदुए ने उस पर हमला कर दिया। बेटी का चीख सुनकर सुखलाल दौड़ पड़ा। तब तक तेंदुए ने जबड़े में उसका हाथ पकड़ लिया। यह देख पत्नी सहित आसपास के लोग डंडे लेकर दौड़े। तेंदुआ निर्माणाधीन भवन के बाथरूम में छुप गया। इसके बाद सुखलाल की 11 महीने की नातिन भूमिका को भी तेंदुए ने घायल कर दिया। इसके बाद से घायलों का इलाज टी. चोइथराम अस्पताल में चल रहा था लेकिन शुक्रवार (19 मार्च) को रात तीन बजे भूमिका ने दम तोड़ दिया।
चिकित्सकों के मुताबिक भूमिका के सीने में तेंदुए के दांत के गहरे जख्म हो गए थे। भूमिका की आंत में संक्रमण फैल गया था। इसके बाद उसे नली के द्वारा तरल पदार्थ दिया जा रहा था और नली में भी खून आने लग गया था। भूमिका का आपरेशन भी किया गया ताकि उसके स्वास्थ्य में सुधार हो सके लेकिन बच्ची हालत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई।
दहशत फैलाने वाला तेंदुए को 40 सदस्यीय रेस्क्यू टीम ने चौबीस घंटे बाद पकड़ा था। उसे ट्रेंकुलाइज करने के बाद चिड़ियाघर ले जाया गया। परीक्षण के बाद तेंदुए को जंगल में छोड़ दिया गया।