माता महाकाली के परम उपासक 99 वर्षीय बरखा गिरि महाराज ब्रह्मलीन

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा

देहरादून, 4 मार्च।

माता महाकाली के परम उपासक 99 वर्षीय बरखा गिरि महाराज ब्रह्मलीन हो गए। गत सायं को तपस्वी संत बरखा गिरि महाराज ने कालीशिला स्थित आश्रम में अंतिम सांसें ली। उन्हें भूमि-समाधि देकर अंतिम विदाई दी गई। सिद्धपीठ कालीशिला में देवी महाकाली 12 वर्ष की बालिका के रूप में प्रकट हुई थी। धनात्मक दृष्टिकोण से यह स्थान कामाख्या व ज्वालामुखी के समान अत्यंत ही उच्चकोटि का है। स्कंदपुराण के केदारखंड में 62 अध्याय में मां काली के मंदिर का वर्णन है। कालीमठ मंदिर से 8 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पर एक दिव्य शिला है, जिसे कालीशिला के नाम से जाना जाता है। यहां देवी काली के पैरों के निशान आज भी मौजूद हैं। कालीशिला के बारे में मान्यता है कि मां भगवती ने शुम्भ, निशुम्भ और रक्तबीज दानव का वध करने के लिए कालीशिला में 12 वर्ष की बालिका का रूप धारण किया। कालीशिला में चैंसठ योगीनियों के यंत्र मौजूद है। खास बात यह है कि देवी भगवती को इन्हीं 64 यंत्रों से शक्ति मिली थी। कहते हैं कि इस स्थान पर 64 योगिनियां विचरण करती रहती हैं। कालीशिला में महाकाली की पूजा-आराधना के लिए करीब 50 साल पूर्व बरखा गिरि बाबा पहुंचे थे। तब से लेकर बाबा बरखा गिरि कालीशिला जैसे घनघोर जंगल में कुटिया बनाकर देवी महाकाली की उपासना कर रहे थे। बाबा की सेवा में रहकर जर्मन मूल की सरस्वती गिरि सहित कई अन्य शिष्य महाकाली की साधना कर रहे हैं। नृसिंहपीठाधीश्वर रसिक महाराज ने दुख प्रकट करते हुए कहा कि बरखा गिरि महाराज ने पूरा जीवन सादगी में रहकर माता काली की कठोर तपस्या की।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.