काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी केस में एक और मुकदमा, दावा- ज्ञानवापी पर सिर्फ और सिर्फ हिंदुओ का अधिकार है
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत में एक नया मुकदमा दाखिल किया गया है जिसमें श्रृंगार गौरी और आदि विश्वेश्वर का वाद मित्र बताते हुए रंजना अग्निहोत्री और जितेंद्र सिंह समेत 8 लोगों ने भारत संघ, उत्तर प्रदेश सरकार,डीएम,एसएसपी, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड अंजुमन इंतजामिया मस्जिद और ट्रस्ट काशी विश्वनाथ मंदिर को पक्षकार बनाया है।
समग्र समाचार सेवा
वाराणसी, 19फऱवरी।
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत में एक नया मुकदमा दाखिल किया गया है जिसमें श्रृंगार गौरी और आदि विश्वेश्वर का वाद मित्र बताते हुए रंजना अग्निहोत्री और जितेंद्र सिंह समेत 8 लोगों ने भारत संघ, उत्तर प्रदेश सरकार,डीएम,एसएसपी, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड अंजुमन इंतजामिया मस्जिद और ट्रस्ट काशी विश्वनाथ मंदिर को पक्षकार बनाया है।
याचिका में कहा गया है कि आदि विश्वेश्वर 5 कोस के दायरे में अवमुक्त क्षेत्र है व मां श्रृंगार गौरी स्वयंभू देवता हैं प्राचीन काल से इनकी पूजा होती चली आ रही है और आदि विश्वेश्वर मंदिर का एक हिस्सा 1669 में मुगल बादशाहऔरंगजेब द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था। दावे में कहा गया कि देवता पूरे परिसर के स्वयंभू मालिक हैं और उसके एक हिस्से पर किए गए निर्माण को मस्जिद नहीं कहा जा सकता साथ ही मंदिर के एक हिस्से को ध्वस्त करने के बाद उसे वक्फ नहीं बनाया जा सकता।
इससे दूसरा पक्ष मंदिर के किसी भी हिस्से का उपयोग करने का अधिकारी नहीं हो सकता। याचिका में यह भी कहा गया कि काशी विश्वनाथ अधिनियम 1983 पुराने मंदिर में मौजूद ज्योतिर्लिंग और आदि विश्वेश्वर के अस्तित्व को मान्यता देता है। याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि देवी गंगा, हनुमान, गणेश नंदी और आदि विश्वेश्वर के साथ मां श्रृंगार गौरी के उपासक समर्पित देवी देवताओं के पूजा करने के अधिकारी है।
याचिका में अनुरोध किया गया कि प्रतिवादी पक्ष को मौजूदा इमारत को ध्वस्त करने के बाद नए निर्माण करने में हस्तक्षेप से रोका जाए साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर के न्यासी मंडल को श्रृंगार गौरी ,आदि विश्वेश्वर और अन्य देवी देवताओं के पूजन बहाल करने का निर्देश दिया जाए। अदालत ने इस याचिका के पोषणीयता पर सुनवाई के लिए नियमित अदालत को संदर्भित कर दिया। बता दे नियमित अदालत यानी सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत अवकाश पर होने के कारण यह मामला अपर सिविल जज (सी.डि.) द्वितीय कुमुदलता त्रिपाठी की अदालत में पेश किया गया था।