बिहार में अगली जनगणना जातीय आधार पर होनी चाहिए- सीएम नीतीश कुमार
सीएम ने विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में पुराने रोस्टर को बहाल करने के मुद्दे का भी समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि इन दोनों मुद्दों पर पक्ष और विपक्ष एक मत है।
समग्र समाचार सेवा
पटना, 17फरवरी।
बुधवार को जदयू कार्यालय परिसर में सीएम नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर जवाब देते हुए भी जातिगत आधार पर जनगणना के लिए प्रस्ताव भेजने की बात कही थी। सीएम ने विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में पुराने रोस्टर को बहाल करने के मुद्दे का भी समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि इन दोनों मुद्दों पर पक्ष और विपक्ष एक मत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सब ऐसे मुद्दे हैं जिन पर समय निकालकर एक साथ सदन में चर्चा करनी चाहिए। यही नहीं सदन का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास जाना चाहिए। जो पहले का प्रावधान है वही रहना चाहिए क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले के बाद अगर विभागवार नियुक्ति का सिलसिला शुरू हुआ तो इसका बहुत बड़ा नुकसान अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़े वर्ग के प्रत्याशियों को उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि बिहार में लोक सेवा आयोग द्वारा शिक्षकों की नियुक्तियां पुराने रोस्टर और पुरानी प्रक्रिया के तहत ही की जा रही हैं।
सीएम नीतीश ने जातिगत आरक्षण का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा कि जब तक जाति आधारित जनगणना नहीं होती तब तक पिछड़े या अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों के वर्तमान आरक्षण की सीमा को बढ़ाया नहीं जा सकता है। एक बार जातिगत जनगणना हो जाए तो पूरे देश में एक नियम, एक क़ानून बनाया जाना चाहिए कि आरक्षण आबादी के अनुसार मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अनारक्षित वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इसका किसी को विरोध नहीं करना चाहिए। यह किसी के आरक्षण में कोई हस्तक्षेप नहीं है। अलग से आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है।