प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में पढ़ी मैथिलीशरण गुप्त की कविता, बोले- आज पूरे विश्व की नजर भारत पर है और अपेक्षाएं भी

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्यसभा में मैथिलीशरण गुप्त की एक प्रेरक कविता की कुछ लाइनें पढ़कर कोरोना काल में मिले अवसरों का लाभ उठाने के लिए भारत की तैयारियों का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज पूरे विश्व की नजर भारत पर है और अपेक्षाएं भी हैं। लोगों में विश्वास है कि भारत दुनिया की भौतिक समस्याओं का समाधान करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि, “जब मैं अवसरों की चर्चा कर रहा हूं, तब मैथिलीशरण गुप्त की कविता याद आती है, जिसमें उन्होंने कहा है-

“अवसर तेरे लिए खड़ा है,
फिर भी तू चुपचाप पड़ा है
तेरा कर्मक्षेत्र बड़ा है
पल-पल है अनमोल
अरे भारत उठ, आंखें खोल”
“अवसर तेरे लिए खड़ा है
तू आत्‍मविश्‍वास से भरा पड़ा है
हर बाधा हर बंदिश को तोड़
अरे भारत, आत्‍मनिर्भरता के पथ पर दौड़”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना काल के दौरान इस प्रकार की वैश्विक परिस्थितियां बनीं कि किसी का किसी के लिए मदद करना असंभव था। एक देश दूसरे देश की मदद न कर सके, एक राज्य दूसरे राज्य की मदद न कर सके। वैसा माहौल कोरोना में पैदा हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अनेक चुनौतियों के बीच राष्ट्रपति का इस दशक का प्रथम भाषण हुआ। जब हम पूरे विश्व पटल की तरफ देखते हैं, युवा मन को देखते हैं तो ऐसा लगता है कि आज भारत सच्चे अर्थों में अवसरों की भूमि है। अनेक अवसर हमारा इंतजार कर रहे हैं। देश इन अवसरों को कभी जाने नहीं देगा।

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