सुनील अग्रवाल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसले पर गौर फरमाएं तो अब बिहार में अपराधियों पर नकेल कसने वास्ते किन्नरों को प्रशिक्षित कर उन्हें थानों की कमान सौंपने की तैयारी की जा रही है। सरकार की मानें तो राज्य के प्रत्येक जिले में एक थाने की कमान प्रशिक्षित किन्नरों के हाथों में सौंपने की तैयारी की जा रही है, जहां थानेदार समेत चार किन्नर पुलिसकर्मी होंगे। इसके लिए बाजाप्ता किन्नरों को पुलिस कोटे में आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
गौरतलब है कि बिहार में बढ़ते बेतहाशा अपराध पर अंकुश लगाने वास्ते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है और किन्नरों के थानों में बहाली इसी कड़ी में का हिस्सा बनने वाला है।
सरकार ने पटना उच्च न्यायालय में हलफनामा दायर कर बताया है कि जनसंख्या के आधार पर किन्नरों की आबादी के हिसाब से उनके पुलिस बहाली में कोटा निर्धारित कर दिया गया है। इस प्रकार बिहार देश का पहला राज्य बन गया है, जहां किन्नर समुदाय को पुलिस बहाली में समुचित स्थान प्राप्त हो सकेगा।
सरकार के इस फैसले के बाद समाज के उपेक्षित किन्नर समुदाय को पुलिस में सीधे बहाली का रास्ता साफ हो गया है। राज्य सरकार की स्वीकृति मिलने के बाद गृह विभाग द्वारा शुक्रवार को जारी संकल्प पत्र के अनुसार बिहार पुलिस में अब ट्रांसजेंडर भी बहाल होंगे और दारोगा व पुलिस की सीधी नियुक्ति में इनके लिए पद आरक्षित रहेंगे। हालांकि वर्दी पाने वास्ते इन्हें भी लिखित एवं शारीरिक परीक्षा उत्तीर्ण करनी होंगी।
संकल्प पत्र में बताया गया है कि सिपाही पद पर नियुक्ति का अधिकार पुलिस अधीक्षक को होगा, जबकि अवर निरीक्षक के पद पर पुलिस उपमहानिरीक्षक स्तर के अधिकारी बहाल कर पाने में सक्षम होंगे।
बिहार के डीजीपी एसके सिंघल का मानना है कि किन्नर हमारे समाज के अभिन्न अंग हैं और समाज में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए पुलिस में किन्नरों की सीधी बहाली का रास्ता साफ कर दिया गया है।