आस्था पर तांडव क्यों?

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सुनील अग्रवाल।
किसी भी धर्म की आस्था पर तांडव करना किस सभ्यता और संस्कृति की पहचान को दर्शाता है। हिन्दुस्तान में रहकर हिन्दू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाना और जाति विशेष सूचक पर प्रहार कब तक सहन किया जाता रहेगा। मनोरंजन के नाम पर किसी धर्म विशेष को टारगेट कर उसे बदनाम करने की साज़िश का पर्दाफाश करना और ऐसे बेनकाब लोगों की घृणित मानसिकता को उजागर करने का समय आ गया है।धर्म व जाति कोई भी क्यों ना हो,उसको आधार बनाकर उस पर कुठाराघात करने की इस कुसंस्कृति पर सख्ती से पाबंदी लगाने की जरूरत है। तभी सर्व धर्म समभाव और गंगा, जमुना तहजीब को बल मिल पाएगा,वरना देश की सभ्यता एवं संस्कृति पर ग्रहण लग जाएगा। पिछले कुछ सालों से देश में यह ट्रेंड बनता जा रहा है कि हिन्दू देवी-देवताओं को अपमानित कर धन बटोरा जाएं।

इन दिनों देश में एक सुसंगठित गिरोह द्वारा हिन्दुओं के देवी-देवताओं को निशाना बनाकर उन्हें अपमानित करने की परिपाटी का विस्तार तेजी से पनपता जा रहा है,जो देश की संप्रभुता के लिए किसी गंभीर परिणाम को चुनौती देने जैसा है। अब समय आ गया है कि इस अवांछित मनोवृत्ति पर सख्ती से रोक लगाई जाए।

हिन्दूओं की सहनशक्ति को कायरता समझने वाले फिल्मीस्तान के मुठ्ठी भर लोग माफी मांगकर मां भारती को शर्मसार करने के इरादे को कुचले जाने का वक्त आ चुका है। माफी तो मोहम्मद गजनी ने भी दर्जनों बार मांगी थी लेकिन हश्र क्या हुआ,सभी जानते हैं। सनातन धर्म पर प्रहार करने का खेल बहुत खेला जा चुका है। अब और सहन नहीं किया जाएगा। धर्म के साथ खिलवाड़ करने वालों को उसी की भाषा में जवाब देना होगा, वरना नौटंकी कम्पनी के ये वृकृत्य मानसिकता वाले लोगों का मनोबल बढ़ता हीं जाऊंगा और ये अपने मकसद में कामयाब होते रहेंगे। ऐसे कुकृत्य को जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा जाना चाहिए।

दुःख तो तब होता है जब ऐसे मामलातों में इनके आकाओं की बोलती बंद हो जाती है। खुद पर पड़ती है तो इनकी फटने लगती है। अब तो कांग्रेस का भोंपू भी बजना बंद सा हो गया है, क्योंकि कांग्रेसी नेताओं का तो इनसे याराना है ना। कांग्रेस को टुकड़े टुकड़े गैंग, शाहीन बाग, किसान आन्दोलन, भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह अफजल तेरे कातिल जिंदा हैं, अर्बन नक्सली जैसे विघटनकारी शक्तियों को बढ़ावा देने से फुर्सत मिले तब ना। आज नहीं तो कल अगर अमेजन के इस वेब सीरीज के किरदारों पर सरकार सख्ती से पेश आएं तो धर्मनिरपेक्षता का चोला पहनें वाले इन राजनीतिक दलों के पेट में दर्द उठना शुरू हो जाएगा और ये सभी उनके समर्थन में चिल्लाते हुए एक और नये आन्दोलन को अमलीजामा पहनाने से तनिक भी नहीं हिचकेंगे। चुंकि इनकी असली पहचान हीं यही है और आज तक ऐसा हीं देखने को मिलता रहा है।

बहरहाल इस मुद्दे पर जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का डंडा पड़ना शुरू हुआ तो ‘तांडव’ का मुख्य किरदार दुम दबाकर भागता फिर रहा है। अगर इतना हीं हिम्मत है तो मुम्बई पहुंच चुकी योगी की पुलिस से आमना-सामना करने से क्यों हिचकिचाहट महसूस हो रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस की रवानगी की खबर मिलते हीं अमेजन वेब सीरीज की पूरी टीम की पतलून गीली क्यों होने लगी। आखिर क्या कारण है कि वो सफाई देते हुए बगैर किसी शर्त के माफीनामा मांगते फिर रहे हैं। बात तो वही हुई ना कि किसी का सर कलम कर दो और बाद में अपना गुनाह कबूल कर माफीनामा मांग लो, ताकि बात आया राम गया राम हो जाएं। अगर इस देश में ऐसा ही चलता रहा तो फिर भगवान भी अपने हाथ खड़े करने में तनिक भी संकोच नहीं करेंगे। अभी तो देश में चिंगारी उठी है, आगे देखते जाइए होता है क्या। सच कहना बगावत है तो समझो हम बागी हैं।

(बिहार से सुनील अग्रवाल)

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