समग्र समाचार सेवा
भोपाल, 9जनवरी।
मध्य प्रदेश के गृह मंत्रालय ने राजपत्र में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक- 2020 को अधिसूचित कर दिया है। बता दें कि सरकार के फैसले से लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून अब लागू हो गया है। दिसंबर 2020 में शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी थी। विधेयक में शादी या अन्य कपटपूर्ण तरीके से कराया गया धर्मांतरण अपराध माना जाएगा जिसके मामले में अधिकतम 10 साल की कैद और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
Madhya Pradesh: State Home Department notified the Madhya Pradesh Freedom of Religion Ordinance, 2020 in the Madhya Pradesh Gazette thereby bringing the law into effect pic.twitter.com/rFQ1I8Mrzu
— ANI (@ANI) January 9, 2021
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार यह विधेयक उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अधिसूचित उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 से मिलता-जुलता है। उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 में भी जबरन धर्मांतरण कराने के अपराध में अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। मध्य प्रदेश के कानून एवं गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि उनकी सरकार ने इस विधेयक को काफी कठोर बनाने की कोशिश की है।
मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020 के कानून बन जाने से कोई भी किसी दूसरे को प्रलोभन, धमकी अथवा बलपूर्वक विवाह के नाम पर या अन्य कपटपूर्ण तरीके से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष से उसका धर्म परिवर्तन नहीं करा पाएगा। इस कानून का उल्लंघन करने पर एक से 10 साल तक की कैद एवं एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यही नहीं धर्म छिपाकर शादी के अपराध में तीन साल से 10 साल तक के कारावास और 50 हजार रुपये के दंड का प्रावधान है।
सामूहिक धर्म परिवर्तन का प्रयास करने पर पांच से 10 साल तक की कैद और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। नाबालिग, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के साथ ऐसा अपराध करने पर दो से 10 साल तक की कैद और कम से कम 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यही नहीं विधेयक में स्वेच्छा से धर्म संपरिवर्तन करने वाले या कराने वाले व्यक्ति को 60 दिन पहले जिला दंडाधिकारी सूचित किया जाना अनिवार्य किया गया है। ऐसा नहीं करने पर कम से कम तीन से पांच साल की कैद और कम से कम 50 हजार रुपए के अर्थदंड का प्रावधान है।