समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 17 दिसंबर।
केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली सीमा पर डटे किसानों को हटाने से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई हो रही है। आज प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि एक विरोध तब तक संवैधानिक है जब तक वह संपत्ति या जीवन को नुकसान नहीं पहुंचता। एसए बोबडे ने कहा कि केंद्र और किसानों को बात करनी होगी, हम एक निष्पक्ष और स्वतंत्र समिति बनाने के बारे में सोच रहे हैं, जिसके समक्ष दोनों पक्ष अपनी बात रख सकें। समिति एक निष्कर्ष देगी, जिसका पालन किया जाना चाहिए। इस बीच विरोध जारी रह सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि स्वतंत्र समिति में पी साईनाथ, भारतीय किसान यूनियन और अन्य सदस्य हो सकते हैं। किसान हिंसा को भड़का नहीं सकते और न ही इस तरह एक शहर को अवरुद्ध कर सकते हैं।
इस दौरान प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि हम कानूनों के खिलाफ विरोध के मौलिक अधिकार को मान्यता देते हैं और इसे रोकने के लिए कोई सवाल नहीं उठाते। उन्होंने कहा कि किसानों को विरोध करने का अधिकार है। हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे, लेकिन विरोध का तरीका कुछ ऐसा है जिस पर हम गौर करेंगे। लोगों के आने जाने का अधिकार प्रभावित न हो इसके लिए प्रदर्शन में थोड़ा बदलाव करने के लिए केंद्र से सवाल करेंगे कि यह किस तरह से प्रदर्शन हो रहा है।