समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27अक्टूबर।
हिन्दी पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा हर वर्ष आश्विन मास में आती है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा या आश्विन पूर्णिमा कहते हैं। इस वर्ष शरद पूर्णिमा या आश्विन पूर्णिमा 30 अक्टूबर दिन शुक्रवार को है। शरद पूर्णिमा का एक विशेष धार्मिक महत्व होता है। इस दिन धन, वैभव और ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा या कोजागरी लक्ष्मी पूजा के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन ही माता लक्ष्मी की अवतरण हुआ था।
शरद पूर्णिमा तिथि
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 30 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 45 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 31 अक्टूबर को रात 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर को होगी। शरद पूर्णिमा आश्विन मास में आती है, इसलिए इसे आश्विन पूर्णिमा भी कहते हैं।
शरद पूर्णिमा का महत्व
ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की बूंदें बरसती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं। पूर्णिमा की चांदनी में खीर बनाकर खुले आसमान में रखते हैं, ताकि चंद्रमा की अमृत युक्त किरणें इसमें आएंगी और खीर औषधीय गुणों से युक्त होकर अमृत के समान हो जाएगा। उसका सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होगा। शरद पूर्णिमा के दिन द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग महारास रचाया था।