आखिर नवरात्रि में अखंड दीप क्यों जलाते हैं, जानिए इसके महत्व और नियम

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर।

दीप प्रकाश का प्रतीक है और प्रकाश ज्ञान का। परमात्मा से हमें संपूर्ण ज्ञान मिले इसीलिए दीप प्रज्वलन करने की परंपरा है। कोई भी पूजा हो या किसी समारोह का शुभारंभ। समस्त शुभ कार्यों का आरंभ दीप प्रज्ज्वलन से होता है।

हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले दीपक जलाए जाते हैं। सुबह-शाम होने वाली पूजा में भी दीपक जलाने की परंपरा है। वास्तुशास्त्र में दीपक जलाने व उसे रखने के संबंध में कई नियम बताए गए हैं।

नवरात्रि में अखंड दीपक क्यों जलाते हैं
नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। साल में हम 2 बार देवी की आराधना करते हैं। नवरात्रि के दौरान माता रानी को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु कलश स्थापना, अंखड ज्योति, माता की चौकी आदि तरह के पूजन-अर्चन करते हैं। नवरात्रि के 9 दिन हम घर पर कलश स्थापना और अखंड ज्योत जलाते हैं। अखंड ज्योति पूरे 9 दिन तक बिना बुझे जलाने का प्रावधान है। अखंड ज्योति जलाने के बाद आप उसे अकेला नहीं छोड़ सकते हैं और अगर ये ज्योति बुझ जाए तो अपशगुन होता है।
नवरात्रि में दीपक जलाए रखने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन संकल्प करते हुए अखंड दीपक को जलाना चाहिए और नियमानुसार उसका सरंक्षण करना चाहिए।

आमतौर पर लोग पीतल के दीपपात्र में अखंड ज्योति प्रज्वल्लित करते हैं। यदि आपके पास पीतल का पात्र न हो तो आप मिट्टी का दीपपात्र भी इस्तेमाल कर सकते हैं। मगर मिट्टी के दीपपात्र में अखंड ज्योति जलाने से पहले दीपपात्र को 1 दिन पहले पानी में भिगो दें और उसे पानी से निकालकर साफ कपड़े से पोछकर सुखा लें।

शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने से पहले हम मन में संकल्प लेते हैं और मां देवी से प्रार्थना करते हैं कि हमारी मनोकामना जल्द पूर्ण हो जाएं। अखंड दीपक को कभी भी जमीन पर न रखें।

दीपक को चौकी या पटरे में रखकर ही जलाएं। दुर्गा मां के सामने यदि आप जमीन पर दीपक रख रहे हैं तो अष्टदल बनाकर रखें।

अखंड ज्योति की बाती का विशेष महत्व है। यह बाती रक्षासूत्र यानि कलावा से बनाई जाती है। सवा हाथ का रक्षासूत्र(पूजा में प्रयोग किया जाने वाला कच्चा सूत) लेकर उसे बाती की तरह दीपक के बीचोंबीच रखें।

अखंड ज्योति जलाने के लिए शुद्ध घी का इस्तेमाल करना चाहिए। यदि आपके पास दीपक जलाने के लिए घी न हो तो आप तिल का तेल या सरसों के तेल का भी दीपक जला सकते हैं। मगर ध्यान ऱखें कि इनमें सरसों का तेल शुद्ध हो और उसमें कोई मिलावट न हो।

अखंड ज्योति को देवी मां के दाईं ओर रखा जाना चाहिए लेकिन यदि दीपक तेल का है तो उसे बाईं ओर रखना चाहिए। अखंड दीपक की लौ को हवा से बचाने के लिए कांच की चिमनी से ढक कर रखना चाहिए।

ईशान कोण यानि उत्तर पूर्व दिशा को देवी-देवताओं का स्थान माना गया है। इसलिए अखंड ज्योति पूर्व- दक्षिण कोण यानि आग्नेय कोण में रखना शुभ माना जाता है। ध्यान रखें कि पूजा के समय ज्योति का मुख पूर्व या फिर उत्तर दिशा में होना चाहिए।

अखंड ज्योत जलाने से पहले हाथ जोड़कर श्रीगणेश, देवी दुर्गा और शिवजी की आराधना करें। दीपक प्रज्जवलित करते वक्त मन में मनोकामना सोच लें और मां से प्रार्थना करें कि पूजा की समाप्ति के साथ आपकी मनोकामना भी पूर्ण हो जाए।

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