बालासाहेब विखे पाटिल की मराठी में लिखी आत्मकथा ‘देह वीचवा करणी’ का पीएम मोदी ने किया विमोचन

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,13 अक्टूबर।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि डाक्टर बालासाहेब विखे पाटिल ने सत्ता और राजनीति के जरिए हमेशा समाज की भलाई का काम किया और राजनीति को समाज के सार्थक बदलाव का माध्यम बनाने का प्रयास किया। मोदी ने महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता रहे बालासाहेब विखे पाटिल की मराठी में लिखी आत्मकथा ‘देह वीचवा करणी’ का वीडियो कांफ्रेन्स के माध्यम से विमोचन किया। इसका अर्थ है अपना जीवन किसी नेक काम के लिए समर्पित कर देगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने ‘प्रवर ग्रामीण शिक्षा समाज’ संस्था का नाम डा विखे पाटिल के नाम पर ‘लोकनेते डॉ. बालासाहेब विखे पाटिल प्रवर रूरल एजुकेशन सोसाइटी’ भी रखा।

डा विखे पाटिल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “उन्होंने सत्ता और राजनीति के जरिए हमेशा समाज की भलाई का प्रयास किया। उन्होंने हमेशा इसी बात पर बल दिया कि राजनीति को समाज के सार्थक बदलाव का माध्यम कैसे बनाया जाए, गांव और गरीब की समस्याओं का समाधान कैसे हो। गांव, गरीब, किसान का जीवन आसान बनाना, उनके दुख, उनकी तकलीफ कम करना, विखे पाटिल जी के जीवन का मूलमंत्र रहा है।”

उन्होंने कहा कि डॉक्टर बालासाहेब विखे पाटिल की आत्मकथा का विमोचन आज भले हुआ हो लेकिन उनके जीवन की कथाएं महाराष्ट्र के हर क्षेत्र में मिलेंगी। गाँव गरीब के विकास के लिए, शिक्षा के लिए, उनका योगदान हो, महाराष्ट्र में सहकारिता की सफलता का उनका प्रयास हो, ये आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देगा। उन्होंने कहा, “सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, अटल जी की सरकार में मंत्री रहते हुए उन्होंने देश के अनेक क्षेत्रों में सहकारिता को बढ़ावा दिया, उसके लिए प्रयास किया । ये उन्हीं का प्रयास है कि जो इलाका कभी अभाव में जीने को मजबूर था, आज उसकी तस्वीर बदल गई है एक प्रकार से उनके लिए सहकारिता सबके साथ से सबके कल्याण का मार्ग थी।”

मोदी ने कहा कि डॉक्टर बालासाहेब विखे पाटिल ने गांव, गरीब और किसानों के दुख को, दर्द को नजदीक से देखा, समझा इसलिए वो किसानों को एक साथ लाए, उन्हें सहकार से जोड़ा। इस तरह आज से प्रवरा रूरल एजुकेशन सोसायटी के साथ भी बालासाहेब का नाम जुड़ना उतना ही उचित है। इस सोसायटी के माध्यम से गांव के युवाओं के शिक्षा और कौशल विकास को लेकर, गांव में चेतना जगाने के लिए उन्होंने जो काम किया उससे सब परिचित हैं।
उन्होंने कहा कि जब देश में ग्रामीण शिक्षा की उतनी चर्चा नहीं होती थी, तब रूरल एजुकेशन सोसायटी के माध्यम से उन्होंने गांवों के युवाओं को प्रोत्साहित किया।

प्रधानमंत्री ने कृषि सुधारों के प्रति बालासाहेब पाटिल के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने बहुत पहले किसान को उद्यमिता से जोड़ने की बात कही थी। यह बात उन्होंने दशकों तक जमीन पर काम करने के अनुभव के आधार पर कही थी। उनकी सोच को आगे बढाते हुए आज सरकार ने ऐतिहासिक कृषि सुधार किये हैं। खेती को, किसान को अन्नदाता की भूमिका से आगे बढ़ाते हुए, उसको उद्यमी बनाने और उद्यमिता की तरफ ले जाने के लिए अवसर तैयार किए जा रहे हैं।

अंत में मोदी ने महाराष्ट्र में कोरोना महामारी के बढते प्रकोप का जिक्र करते हुए कहा कि वह राज्य के सभी लोगों से अनुरोध करते हैं कि अभी कोरोना का खतरा गया नहीं है और महाराष्ट्र में विशेष रूप से स्थिति चिंताजनक है इसलिए सभी को इससे बचाव के लिए सरकार के तीन सूत्री फार्मूले पर सख्ती से अमल करना है। इसमें चेहरे पर मास्क पहनना, दो गज की दूरी बनाये रखना और बार बार हाथ धोना शामिल है।

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