कोरोना से मरने वाले सैकड़ों लोगों का दाह संस्कार करवा चुके जिंदादिल वॉरियर की मौत

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर।

कोरोना के इस दौर में कई लोग ऐसे है,  जो अपने परिवार से दूर रहकर दूसरे लोगों की हर संभव मदद कर रहे हैं। हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे जो महामारी के इस दौर में पिछले छह महीने से कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों को एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाने और उनके शवों को अंतिम संस्कार तक पहुंचाने का काम कर रहे थे। शनिवार को हिंदू राव अस्पताल में कोरोना के कारण उनकी मौत हो गई। वह पेशे से एंबुलेंस ड्राइवर थे और उनका नाम आरिफ खान था।

बता दें कि सीलमपुर के रहने वाले आरिफ खान कोरोना संक्रमित मरीजों की मदद की वजह से पिछले छह महीने से अपने घर तक नहीं गए थे, वह छह महीने से घर से 28 किमी दूर पार्किंग एरिया में ही सो रहे थे। वह सिर्फ फोन के जरिए ही अपनी पत्नी और बच्चों के संपर्क में थे, उन्होंने शनिवार सुबह अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। आरिफ खान फ्री एंबुलेंस सेवा देने वाले शहीद भगत सिंह सेवा दल के साथ काम करते थे, यह सेवा दल दिल्ली – एनसीआर में फ्री आपातकालीन सेवाएं देता है। जब किसी कोरोना मरीज की मौत हो जाती थी, और उसके परिवार के पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं होते थे, तो आरिफ खान पैसे देकर भी उनकी मदद करते थे।

आरिफ ने अपनी जान जोखिम में डालकर 200 से ज्यादा मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाया और 100 से अधिक शवों को अंत्येष्टि के लिए श्मशान पहुंचाया। शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी ने आरिफ को जिंदादिल शख्सियत बताया और कहा कि मुस्लिम होकर भी आरिफ ने अपने हाथों से 100 से अधिक हिंदुओं के शव का अंतिम संस्कार किया। शंटी ने बताया कि जब आरिफ की मौत हुई, उनके अंतिम संस्‍कार के लिए परिवार के लोग पास नहीं थे। उनके परिवार ने आरिफ का शव काफी दूर से कुछ मिनट के लिए ही देखा। उनका अंतिम संस्कार खुद शहीद भगत सिंह सेवा दल के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह शंटी ने अपने हाथों से किया।

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