वेदांता लि. के निवेशकों के साथ धोखा, कंपनी आपसे कम भाव पर खरीद रही है शेयर,फेल हो जाएगा इसका डिलिस्टिंग प्रोग्राम,

* कंपनी ने पहले 87 रुपए में डिलिस्ट करने का प्रस्ताव दिया था, इसके लिए उसे 10-12 हजार करोड़ की जरूरत थी | *अब अगर ज्यादा भाव पर डिलिस्ट करने का फैसला होगा तो कंपनी को 20 हजार करोड़ रुपए खर्च करना होगा |

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर।

वेदांता लिमिटेड के शेयरों के डिलिस्टिंग प्रोग्राम के फेल होने की आशंका बढ़ गई है। कई ब्रोकरेज हाउसों का मानना है कि वेदांता जिस भाव पर निवेशकों से शेयर खरीद कर कंपनी को डिलिस्ट करना चाहती है, उस भाव पर होना मुश्किल है। अगर कंपनी ज्यादा भाव निवेशकों को देती है तो उसे फिर से पैसा जुटाना होगा और ज्यादा खर्च करना होगा।

87 रुपए पर किया गया था ऑफर

दरअसल वेदांता ने शुरू में 87 रुपए पर डिलिस्ट का ऑफर किया था। हालांकि शेयरों का भाव उस समय 140 रुपए था। यह आज भी 118-120 रुपए के करीब कारोबार कर रहा है। ऐसे में कोई भी निवेशक इस भाव पर राजी नहीं होगा। डिलिस्ट की प्रक्रिया में बुधवार तक 17.15 करोड़ से ज्यादा शेयर ऑफर किए हैं। स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक पहले तीन दिनों में ऑफर किए गए 17.15 करोड़ शेयरों में से करीब 8.49 करोड़ शेयर 138 से 140 रुपए के प्राइस रेंज में ऑफर किए गए हैं।

प्रमोटर्स 47.67 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदना चाहते हैं

वेदांता का बाजार से डिलिस्ट करने के लिए प्रमोटर्स आम शेयरधारकों से 169.73 करोड़ शेयर या 47.67 फीसदी हिस्सेदारी खरीदना चाहते हैं।कंपनी की रिवर्स बुक बिल्डिंग की प्रक्रिया 5 अक्टूबर को शुरू हुई और यह 9 अक्टूबर को बंद होगी। इसमें किसी भी तरह के प्राइस का अंतिम फैसला 16 अक्टूबर को होगा। बीएसई पर वेदांता का शेयर गुरुवार को गिरावट के साथ 118 रुपए पर कारोबार कर रहा था।

डिलिस्टिंग 175-190 के आस-पास हो सकती है

बाजार के विश्लेषकों के मुताबिक डिलिस्टिंग की कीमत 175-190 रुपए के आस-पास होगी। यह वर्तमान बुक से भी बहुत स्पष्ट है कि जिस मीडियम प्राइस पर शेयरों का टेंडर आमंत्रित किया गया है, उसका अधिकांश हिस्सा 138 रुपए के आस-पास है। वेदांता को अपने शेयर की कीमत में प्रमोटर से होने वाली छूट मिलती रहेगी। यह शेयर बुक वैल्यू से नीचे ट्रेड कर रहा है क्योंकि स्टॉक को प्रमोटर से मिलने वाला डिस्काउंट ऑफर किया जा रहा है।

मैनेजमेंट इस कीमत को स्वीकार नहीं करेगा

विश्लेषकों के मुताबिक इसकी संभावना नहीं है कि मैनेजमेंट इस कीमत को स्वीकार करेगा क्योंकि 138 रुपए में, उन्हें 20,000 करोड़ रुपए के करीब खर्च करना होगा। फ्लोर प्राइस 87 रुपए के लिहाज से जरूरी रकम बहुत कम है। उस समय मैनेजमेंट ने इस प्राइस के लिए 12 हजार करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा था। अब अगर यह शेयर ज्यादा प्राइस पर डिलिस्ट होता है तो मैनेजमेंट को 8 से 10 हजार करोड़ रुपए और खर्च करने होंगे। हम अभी जो देख रहे हैं, बाजार में स्टॉक प्राइस के विपरीत जो बोलियां प्राप्त हो रही हैं, उसके बीच ऐसा लग रहा है कि कंपनी की डिलिस्टिंग फेल हो सकती है।

वेदांता खरीदने वालों के लिए सलाह

जो लोग लंबी अवधि के लिए शेयर होल्ड कर रहे हैं उन्हें नुकसान हो सकता है। क्योंकि अभी जो मार्केट प्राइस है वह देखने में ठीक लग रही है परंतु पिछले कुछ सालों से इसकी प्राइस में लगातार गिरावट भी देखी जा रही है। इसने लंबी अवधि के निवेशकों को कोई रिटर्न नहीं दिया है। इसके अलावा लंबी अवधि के लिए इसका स्टॉक रखने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि इसी के आसपास कई अन्य बेहतर स्टॉक भी उपलब्ध हैं।

जहां तक बात उन निवेशेकों की है जिन्होंने इस उम्मीद में स्टॉक खरीद लिया कि डिलिस्टिंग से उन्हें आने वाले समय में तुरंत फायदा होगा, तो उन्हें निराशा ही हाथ लगने वाली है। क्योंकि अभी हाल फिलहाल ऐसे कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं और यह ऑफर फेल हो सकता है।

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