बिहार विधानसभा चुनाव : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन छह नेताओं को दी चुनावी अभियान की जिम्मेदारी

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पटना, 29 सितंबर 2020। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए तारीखों का ऐलान होते ही राजनेतओं के गतियों में तेजी आ गई है। सभी अपनी पार्टी को जीताने के लिए जोड़- तोड़ की कोशिश में लग गए है। जी हां अपनी पार्टी को बड़ी सफलता दिलाने के लिए जदयू के वरिष्ठ नेता संगठन की ने भी अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के प्रयास में लग गए है और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह नीतीश कुमार की ओर पार्टी के छह नेताओं को खास जिम्मेदारियों को पूरा जिम्मा सौंपा भी दिया है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दी जिम्मेदारियां
अक्टूबर-नवंबर में होने जा रहे बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के वरिष्ठ नेता ललन सिंह, आरसीपी सिंह, विजय चौधरी, वशिष्ठ नारायण सिंह, अशोक चौधरी व संजय झा को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी हैं।

– ललन सिंह को पार्टी सीटों पर तालमेल बनाने और दूसरे दलों से जदयू में आनेवाले नेताओं से बातचीत का जिम्मा मिला है। इसके साथ ही सीट बंटवारे जैसे मुद्दे पर पार्टी का दायरा निर्धारित करने की जिम्मेदारी भी उन्हें सौंपी गयी है।
-राज्‍यसभा सांसद एवं पार्टी के वरिष्ठ नेता आरसीपी सिंह को टिकट बंटवारे से जुड़े मामले और बूथ मैनेजमेंट जैसी अहम जिम्मेदारी सौंपी गयी है. उल्लेखनीय है कि आरसीपी सिंह के पास बतौर नौकरशाह लंबा प्रशासनिक अनुभव रहा है और उन्‍हें जदयू का जमीनी नेता माना जाता है. जबकि, विजय चौधरी को जदयू के टिकट पर चुनाव लड़नेवाले उम्मीदवारों के प्रोफाइल को जांचने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. अगर उम्मीदवार दमदार दिखे, तो टिकट फाइनल करने की प्रक्रिया में विजय चौधरी की भूमिका को अहम माना जायेगा।

– जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह को ऑवरऑल मॉनटरिंग करने का जिम्मा सौंपा गया है. वशिष्ठ नारायण सिंह को पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं तथा नीतीश कुमार के बीच कड़ी माना जाता हैं. बताया जाता है कि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता कई बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक अपनी बात वशिष्‍ठ नारायण सिंह के माध्‍यम से ही पहुंचाते हैं. उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें यह अहम जिम्मेदारी मिली है।

-अशोक चौधरी के ऊपर पार्टी का पूरा दारोमदार है. गौर हो कि अशोक चौधरी को हाल ही में जदयू का कार्यकारी अध्‍यक्ष बनाया गया हैं. पार्टी के दलित चेहरा होने के साथ ही वे कुशल रणनीतिकार तथा सांगठनिक क्षमता में बेजोड़ माने जाते हैं. अशोक चौधरी को नीतीश कुमार का बेहद करीबी माना जाता है.

– संजय झा के जिम्मे सोशल मीडिया को मैनेज करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. दिल्‍ली की राजनीति पर मजबूत पकड़ रखने वाले संजय झा को नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जदयू की वर्चुअल रैली को सफल बनाने का श्रेय उन्‍हें ही जाता है. चर्चा है कि जदयू को महागठबंधन से अलग कराने तथा फिर एनडीए में भाजपा के साथ करने में उनकी बड़ी भूमिका रही थी।

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