पीएम मोदी ने भारत और श्रीलंका के रिश्‍ते को दी विशेष प्राथमिकता

मोदी ने राजपक्षे को प्रधानमंत्री बनने और संसदीय चुनावों में उनकी पार्टी की जीत के लिए दी बधाई

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कोलंबो, 26 सितंबर 2020। श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आज वर्चुअल मीटिंग हुई। पीएम मोदी ने भारत और श्रीलंका के बीच इस वर्चुअल द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए निमंत्रण स्वीकार किया और श्रीलंका के पीएम महिंदा राजपक्षे को धन्यवाद भी कहा। मोदी ने राजपक्षे को प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाने और संसदीय चुनावों में उनकी पार्टी की जीत के लिए बधाई दी है।

भारत-श्रीलंका वर्चुअल द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और श्रीलंका के रिश्ते हजारों साल पुराने हैं। मेरी सरकार की ‘पड़ोसी पहले’ की नीति और सागर सिद्धांत के तहत हम दोनों देशों के रिश्‍ते को विशेष प्राथमिकता देते हैं।

लंका के पीएम महिंदा राजपक्षे ने भी भारत की तारीफ करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने अन्य देशों के साथ मिलकर जैसे काम किया, मैं इसके लिए आभार व्यक्त करता हूं। एमटी न्यू डायमंड जहाज पर आग को बुझाने के ऑपरेशन ने दोनों देशों के बीच अधिक सहयोग का अवसर प्रदान किया।

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शिखर सम्मेलन प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर आयोजित किया जा रहा है, जिनकी इस साल 6 अगस्त को श्रीलंका के नव-नियुक्त प्रधानमंत्री के साथ टेलीफोन पर बातचीत हुई थी। राजपक्षे के कार्यालय ने कहा कि मछुआरा समुदाय ने प्रमुख को बताया कि सीओवीआईडी -19 के प्रकोप के बाद से, भारतीय अधिकारी अब अवैध शिकार करने वाले अपने मछुआरों को उनकी सीमा तक नहीं रोकते। इससे स्थानीय मछली पकड़ने वाले समुदाय के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। बता दें कि श्रीलंकाई जल में भारतीयों द्वारा मछली पकड़ना एक पुरानी और बड़ी समस्या रही है और पिछले दिनों भी दोनों पड़ोसियों के बीच इशपर उच्च-स्तरीय वार्ता में हुई थी।
राजपक्षे ने उन्हें आश्वासन दिया था कि इस मुद्दे को भारतीय नेता के साथ उठाया जाएगा और श्रीलंकाई नौसेना को देश के जल में अवैध शिकार करने वाले किसी को भी गिरफ्तार करना चाहिए। इसके अलावा दोनों नेताओं के बीच आपसी द्विपक्षीय अंतर-राजनीतिक, आर्थिक, वित्त, विकास, रक्षा और सुरक्षा क्षेत्रों, शैक्षिक, पर्यटन और सांस्कृतिक के साथ-साथ पारस्परिक हित के क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर पूर्ण ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद जताई गई थी।

राजपक्षे ने कहा कि श्रीलंका आने वाले समय में भी अपनी निष्पक्ष विदेश नीति बनाए रखेगा। वह ऐसे किसी देश या समूह की नजदीकी से दूर रहेगा जिससे उसकी निष्पक्षता प्रभावित होती हो। इस समुद्री मार्ग के आर्थिक महत्व के मद्देनजर शक्तिशाली देशों की जिम्मेदारी है कि वे हिंद महासागर क्षेत्र को शांत, निष्पक्ष और स्वतंत्र आवागमन वाला क्षेत्र बनाए रखने में सहयोग दें। शक्तिशाली देश इस समुद्री क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा को भी किसी तरह का नुकसान न खुद पहुंचाएं और न ही नुकसान होने दें।

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