भगवान श्री राम के बाद अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि भी कोर्ट में, भक्तों ने की शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की अपील!

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मथुरा, 26 सितंबर 2020। भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण कार्य विवादों में था जहां अब कोर्ट के आदेशानुसार निर्माण प्रारंभ होने की तैयारी है वहीं अब भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा भी कोर्ट तक जा पहुचा है। जी हां भगवान श्रीकृष्ण विरामजमान के नाम से दीवानी का केस दर्ज किया गया है।

श्रीकृष्ण विराजमान ने भी मथुरा की कोर्ट में 13.37 एकड़ भूमि को लेकर सिविल मुकदमा दायर किया और बगल से शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग की गई है। यह केस मथुरा की अदालत में दायर किया गया है। इस केस में श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक देने और वहां से इदगाह मस्जिद को हटाने की अपील की गई है। यह वाद भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की सखा रंजना अग्निहोत्री एवं छह अन्य लोगों ने दायर किया है।

बताते चले कि मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को जमीन देने को गलत बताते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा की कोर्ट में दावा पेश किया गया है। श्रीकृष्ण विराजमान, अस्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि, उनकी सखा लखनऊ निवासी रंजना अग्निहोत्री व त्रिपुरारी त्रिपाठी, दिल्ली निवासी कृष्ण भक्त प्रवेश कुमार, करुणेश कुमार शुक्ला व शिवा जी सिंह, सिद्धार्थ नगर निवासी कृष्ण भक्त राजमणि त्रिपाठी की ओर से पेश दावे में यह कहा गया है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन को लेकर समझौता हुआ था। इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन में बनी है, बनी रहेगी। वादी के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि जिस जमीन पर मस्जिद बनी है, वह श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के नाम पर है। ऐसे में सेवा संघ द्वारा किया गया समझौता गलत है। उन्होंने मस्जिद को हटाने की मांग की है।

आपको बता दें कि अदालत में दाखिल मामले में कहा गया है कि मुसलमानों की मदद से शाही ईदगाह ट्रस्ट ने श्रीकृष्ण से सम्बन्धित जन्मभूमि पर कब्जा कर लिया और ईश्वर के स्थान पर एक ढांचे का निर्माण कर दिया। भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्मस्थान उसी ढांचे के नीचे स्थित है। याचिका में यह दावा भी किया गया कि मंदिर परिसर का प्रशासन सम्भालने वाले श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने सम्पत्ति के लिए शाही ईदगाह ट्रस्ट से एक अवैध समझौता किया।

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