संचार साथी ऐप के क्या हैं फायदे? सरकार चाहती है सभी स्मार्टफोन में हो इंस्टॉल
मोबाइल चोरी और साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए सरकार ने सभी नए स्मार्टफोन्स में ‘संचार साथी ऐप’ प्री-इंस्टॉल करने का आदेश दिया है। लाखों लोगों को फायदा दे चुका यह ऐप अब विवादों के घेरे में है।
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90 दिनों में सभी नए स्मार्टफोन्स में संचार साथी ऐप अनिवार्य होगा।
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चोरी या खोए मोबाइल को ब्लॉक करने और फ्रॉड लिंक रिपोर्ट करने की सुविधा।
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ऐप के जरिए असली हैंडसेट पहचान, फर्जी कनेक्शन चेक और इंटरनेशनल स्पूफ कॉल की शिकायत संभव।
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विपक्ष ने डेटा प्राइवेसी और संभावित सरकारी निगरानी पर सवाल उठाए।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 02 दिसंबर: भारत सरकार ने मोबाइल सुरक्षा को मजबूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। दूरसंचार विभाग (DoT) ने मोबाइल हैंडसेट विनिर्माताओं और आयातकों को निर्देश दिया है कि आने वाले 90 दिनों के भीतर सभी नए स्मार्टफोन्स में ‘संचार साथी ऐप’ प्री-इंस्टॉल होना चाहिए। सरकार के अनुसार, यह ऐप मोबाइल चोरी, साइबर फ्रॉड और फर्जी मोबाइल कनेक्शन रोकने में बड़ी भूमिका निभाता है।
निर्देशों में कहा गया है कि नियमों का पालन न करने पर दूरसंचार अधिनियम 2023 और दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियम 2024 के तहत कार्रवाई की जाएगी। सरकार का दावा है कि यह ऐप देश के डिजिटल कम्युनिकेशन सिस्टम को अधिक सुरक्षित बनाएगा।
संचार साथी ऐप क्या है? कैसे काम करता है?
साल 2023 में शुरू हुआ यह पोर्टल और ऐप मोबाइल सुरक्षा और डिजिटल फ्रॉड से निपटने के लिए बनाया गया था। इसके जरिए उपयोगकर्ता,
- खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन की रिपोर्ट कर सकते हैं और उसे तुरंत ब्लॉक करा सकते हैं।
- फ्रॉड करने के लिए भेजे गए फर्जी वेब लिंक की शिकायत कर सकते हैं।
- अपने नाम पर जारी हुए मोबाइल कनेक्शन की संख्या चेक कर सकते हैं।
- बैंक और वित्तीय संस्थानों के वेरिफाइड कॉन्टैक्ट्स की पहचान कर सकते हैं।
- फोन की असलीयत (IMEI ऑथेंटिकेशन) की जांच कर सकते हैं।
- भारतीय नंबर से आने वाली इंटरनेशनल स्पूफ कॉल को OTP के बिना रिपोर्ट कर सकते हैं।
इस ऐप की सबसे बड़ी खासियत है कि IMEI नंबर याद रखने की जरूरत नहीं पड़ती—एप खुद ही यह डेटा पहचान लेता है।
लाखों लोगों को मिल चुका है फायदा
संचार साथी ऐप के आंकड़े बताते हैं कि यह पहले से ही देशभर में व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है।
- 42 लाख से अधिक मोबाइल इस ऐप से ब्लॉक किए जा चुके हैं।
- 26 लाख से ज्यादा चोरी या खोए मोबाइल का सफल ट्रैकिंग।
- 1.14 करोड़ से अधिक रजिस्ट्रेशन, जिसमें
- गूगल प्ले स्टोर से 1 करोड़+ डाउनलोड,
- एप्पल स्टोर से 9.5 लाख+ डाउनलोड शामिल हैं।
सरकार का कहना है कि इन आंकड़ों से साबित होता है कि ऐप आम नागरिकों की सुरक्षा में बेहद प्रभावी है।
विपक्ष के सवाल: प्राइवेसी का खतरा?
हालांकि सरकार इसे सुरक्षा सुधार की दिशा में बड़ा कदम बता रही है, लेकिन विपक्ष ने कई सवाल उठाए हैं,
- क्या फोन में सरकारी ऐप को अनिवार्य करना उपभोक्ता की पसंद का उल्लंघन है?
- ऐप क्या-क्या डेटा एक्सेस करेगा और वह डेटा कहाँ स्टोर होगा—इसकी पारदर्शिता क्यों नहीं?
- क्या यह ऐप किसी तरह की लोकेशन ट्रैकिंग, कॉल पैटर्न मॉनिटरिंग या सरकारी निगरानी का रास्ता खोल सकता है?
- क्या लोगों के निजी मोबाइल उपयोग पर अनुचित हस्तक्षेप हो सकता है?
विपक्ष का कहना है कि सरकार को पहले ऐप की डेटा प्रोटेक्शन पॉलिसी और सुरक्षा मानक सार्वजनिक करने चाहिए, ताकि नागरिकों का भरोसा बढ़े।