चिराग पासवान का शानदार प्रदर्शन: NDA में नए शक्ति केंद्र का उदय
चिराग पासवान की पार्टी ने MGB की 17 सीटें छीनीं; नीतीश कुमार से सुलह के बाद गठबंधन में बढ़ी ताकत
- बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) LJP(RV) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने 29 में से 19 सीटों पर निर्णायक बढ़त हासिल कर NDA के भीतर अपनी स्थिति को बेहद मजबूत कर लिया है।
- LJP(RV) ने जीती गई सीटों में से 17 सीटें विपक्षी महागठबंधन (MGB) से छीनी हैं, जिससे NDA को 200 सीटों का आंकड़ा पार करने में महत्वपूर्ण मदद मिली।
- इस मजबूत प्रदर्शन ने NDA के भीतर चिराग पासवान और नीतीश कुमार के बीच चल रहे ‘तनाव’ को समाप्त कर सुलह (Thaw) का संकेत दिया है, जो गठबंधन की एकजुटता के लिए महत्वपूर्ण है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 14 नवंबर: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम न केवल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की प्रचंड जीत को दर्शाते हैं, बल्कि गठबंधन के भीतर चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) LJP(RV) के उदय की कहानी भी कहते हैं। NDA ने भले ही 200 से अधिक सीटें हासिल की हों, लेकिन इस सफलता में चिराग पासवान की पार्टी का प्रदर्शन निर्णायक रहा है।
LJP(RV) ने जिन 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से वह 19 सीटों पर मजबूत बढ़त बनाए हुए है। यह प्रदर्शन चिराग पासवान के लिए एक बड़ा राजनीतिक पुनरुत्थान है, जिन्होंने 2020 में जनता दल यूनाइटेड (JDU) के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर गठबंधन से बाहर रहकर चुनाव लड़ा था और केवल एक सीट जीती थी।
MGB के गढ़ में सेंध और NDA की एकजुटता
LJP(RV) की इस जीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि उसने महागठबंधन (MGB) को सबसे अधिक नुकसान पहुँचाया। आँकड़ों के अनुसार, LJP(RV) ने जो 19 सीटें जीती हैं, उनमें से 17 सीटें 2020 के चुनावों में MGB के पास थीं।
NDA का निर्णायक स्कोर: चिराग पासवान की इस सेंधमारी ने सुनिश्चित किया कि NDA गठबंधन आसानी से 200 सीटों के पार पहुँच जाए, जिससे यह साबित हुआ कि चिराग का वोट बैंक अब NDA के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति बन गया है।
मजबूत स्थिति: 2021 में पार्टी टूटने और अपने चाचा पशुपति नाथ पारस द्वारा खुद को किनारे किए जाने के बाद, चिराग पासवान का यह प्रदर्शन NDA के भीतर उनके राजनीतिक कद और बार्गेनिंग पावर को कई गुना बढ़ा देता है।
नीतीश-चिराग सुलह का राजनीतिक संदेश
यह चुनाव इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि यह पहली बार है जब LJP (RV) और JDU ने एक ही गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा। दोनों पार्टियों के बीच कड़वाहट का एक लंबा इतिहास रहा है, जिसमें 2020 का ‘मोदी से बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं’ का नारा शामिल है।
लेकिन 2025 के चुनाव से पहले, दोनों नेताओं ने सुलह के स्पष्ट संकेत दिए। चिराग पासवान ने राज्य सरकार की आलोचना कम कर दी, जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने छठ पर्व के दौरान चिराग पासवान के पटना आवास का दौरा किया और उनके परिवार के साथ समय बिताया। BJP के केंद्रीय नेतृत्व ने यह सुनिश्चित किया कि दोनों नेताओं के बीच एकता दिखे, क्योंकि वे गठबंधन को एकजुट रखना चाहते थे।
LJP(RV) का यह मजबूत प्रदर्शन न केवल चिराग पासवान के राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करता है, बल्कि NDA के लिए दलित और युवा वोट बैंक पर मजबूत पकड़ बनाने के लिए भी एक आवश्यक कदम है।