केरल में RSS संपादक डॉ. एनआर मधु गिरफ्तार, ‘वाम-इस्लामी’ गठजोड़ को चुनौती देने का आरोप

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समग्र समाचार सेवा                                                                                                                                                                                                                             कोल्लम,केरल 31 मई –केरल में आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक और ‘केसरी’ साप्ताहिक के संपादक डॉ. एनआर मधु को कथित तौर पर दंगा भड़काने के आरोप में केरल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, उन्हें बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया। यह गिरफ्तारी ‘वेदन’ की आलोचना करने और कथित तौर पर ‘वाम-इस्लामी पारिस्थितिकी तंत्र’ को चुनौती देने के बाद हुई है, जैसा कि उनके समर्थकों और कई मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है।

रिपोर्टों के अनुसार, डॉ. मधु को पूर्वी कल्लाडा पुलिस स्टेशन में पेश होने के बाद गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के पीछे का सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन उनके खिलाफ आरोप ‘दंगा भड़काने’ से संबंधित बताए जा रहे हैं। आरएसएस और भाजपा के हलकों में इस गिरफ्तारी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला और एक राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देखा जा रहा है।

केसरी साप्ताहिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुखपत्र है और डॉ. मधु इसके एक प्रमुख बौद्धिक चेहरा हैं। उनकी गिरफ्तारी ने राज्य में राजनीतिक और वैचारिक बहस को और तेज कर दिया है। आरएसएस और उसके सहयोगी संगठनों ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है, आरोप लगाया है कि राज्य सरकार अपने आलोचकों को निशाना बनाने के लिए पुलिस का दुरुपयोग कर रही है।

उनके समर्थकों का कहना है कि डॉ. मधु ने अपनी पत्रकारिता और सार्वजनिक टिप्पणियों के माध्यम से केरल में कथित ‘वाम-इस्लामी गठजोड़’ पर सवाल उठाया है और विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। इस गिरफ्तारी को इन्हीं आलोचनाओं का परिणाम माना जा रहा है।

हालांकि, पुलिस सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा थी और इसमें कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं था। पुलिस का कहना है कि उन्होंने शिकायत के आधार पर कार्रवाई की और मामले की जांच जारी है।

डॉ. मधु की गिरफ्तारी और बाद में जमानत पर रिहाई ने केरल में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाओं और सरकार की आलोचना को किस हद तक बर्दाश्त किया जाता है, इस पर एक व्यापक बहस छेड़ दी है। यह घटना आगामी राजनीतिक परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, क्योंकि आरएसएस और भाजपा इसे एक बड़े मुद्दे के रूप में उठा सकते हैं।

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