समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,12 अप्रैल। राजधानी दिल्ली में शनिवार शाम अचानक आए धूल भरे तूफ़ान ने इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की व्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया। तेज़ रफ्तार हवाओं और घनी धूल की चादर ने दृश्यता को इतना कम कर दिया कि हवाई यातायात घंटों तक बाधित रहा। इसके चलते 200 से अधिक उड़ानों को या तो विलंबित किया गया, रद्द किया गया, या फिर उन्हें दूसरे शहरों की ओर मोड़ना पड़ा।
मौसम विभाग के अनुसार, शाम लगभग 5:30 बजे अचानक 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज़ हवाएं चलने लगीं, जिनके साथ भारी मात्रा में धूल भी उड़ने लगी। इस कारण रनवे पर दृश्यता 400 मीटर से भी कम हो गई, जो कि सुरक्षित विमान संचालन के लिए आवश्यक न्यूनतम सीमा से काफी नीचे थी।
हवाईअड्डे के एक अधिकारी ने बताया, “इस तरह के मौसम में टेकऑफ और लैंडिंग दोनों ही अत्यंत जोखिमपूर्ण हो जाते हैं। पायलटों और एयर ट्रैफिक कंट्रोल की सलाह से हमें कई उड़ानों को अस्थायी रूप से होल्ड पर डालना पड़ा।”
धूल भरे तूफ़ान का असर केवल हवाई यातायात तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि यात्रियों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई घंटों तक उड़ानों के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी न होने से टर्मिनल पर अफरातफरी मच गई। टिकट काउंटर और सहायता डेस्क पर लंबी कतारें देखने को मिलीं। कई यात्रियों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए एयरलाइंस की ओर से समय पर सूचना न दिए जाने की शिकायत की।
तूफ़ान का असर घरेलू ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर भी पड़ा। दुबई, लंदन, और सिंगापुर से आने-जाने वाली कई उड़ानों को रद्द करना पड़ा या उन्हें जयपुर, लखनऊ और अहमदाबाद की ओर डायवर्ट किया गया। इसके चलते देश-विदेश से आने वाले सैकड़ों यात्री दिल्ली में फंसे रह गए।
रात 9 बजे के बाद मौसम में कुछ सुधार देखने को मिला और दृश्यता बढ़ने पर कुछ उड़ानों को फिर से संचालित किया गया। एयरपोर्ट प्रबंधन के अनुसार, स्थिति को सामान्य करने के लिए ग्राउंड स्टाफ और सुरक्षा एजेंसियां पूरी तत्परता से काम कर रही हैं।
मौसम विभाग ने रविवार को भी आंशिक रूप से धूल भरी हवाओं के बने रहने की चेतावनी दी है, लेकिन तूफ़ान जैसी स्थिति की संभावना नहीं जताई गई है।
प्राकृतिक आपदाएं चाहे कितनी भी आधुनिक तकनीक हो, उन्हें पूरी तरह से टालना मुश्किल होता है। दिल्ली एयरपोर्ट पर आई यह धूलभरी आपदा न केवल व्यवस्थागत कमियों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि आपातकालीन परिस्थितियों में यात्री सुविधाओं को लेकर और प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।