क्या हम रोहिंग्या के लिए रेड कार्पेट बिछा दें?
पुलिस कस्टडी से 5 रोहिंग्या के लापता होने पर दाखिल याचिका खारिज, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, अवैध प्रवेश करने वालों के लिए विशेष व्यवस्था की उम्मीद न करें।
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पुलिस हिरासत में रखे गए 5 रोहिंग्या अचानक गायब, याचिकाकर्ता ने विशेष सुनवाई की मांग की थी।
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सुप्रीम न्यायालय ने कहा, रोहिंग्या ‘घुसपैठिये’, उत्तरी सीमा बेहद संवेदनशील, अवैध प्रवेश पर नरमी नहीं हो सकती।
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कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी करने से इनकार किया, याचिकाकर्ता को फटकार लगाई।
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सर्वोच्च न्यायालय का सवाल, क्या अवैध तरीक़े से आने वालों के लिए हम भोजन, आवास और शिक्षा की व्यवस्था करें?
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 02 दिसंबर: पुलिस हिरासत से पाँच रोहिंग्या शरणार्थियों के अचानक लापता होने के मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कड़ी प्रतिक्रिया दी। इन लापता व्यक्तियों के मुद्दे को 16 दिसंबर को होने वाली नियत सुनवाई के साथ जोड़ने की मांग करते हुए जो याचिका दायर की गई थी, उसे सुप्रीम न्यायालय ने सीधे खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता ने अदालत से अपील की थी कि केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर इस घटना पर जवाब तलब किया जाए। लेकिन अदालत ने न केवल नोटिस जारी करने से इनकार किया, बल्कि याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई।
सुप्रीम न्यायालय ने कहा कि रोहिंग्या अवैध रूप से सुरंगों के रास्ते देश में प्रवेश करते हैं, और उत्तरी सीमा की संवेदनशीलता को देखते हुए उन्हें ‘घुसपैठिया’ माना जाता है। न्यायालय ने तीखे शब्दों में कहा,
“आपको पता है कि वे घुसपैठिये हैं। देश की सीमा अत्यंत संवेदनशील है। इसके बावजूद यदि कोई अवैध रूप से प्रवेश करता है, तो क्या आप चाहते हैं कि हम उनके लिए लाल कालीन बिछाएँ?”
अदालत ने आगे यह भी कहा कि क्या यह अपेक्षा की जानी चाहिए कि राज्य उन्हें भोजन, रहने की व्यवस्था तथा उनके बच्चों को शिक्षा तक उपलब्ध कराए। इसी टिप्पणी के साथ अदालत ने इस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया।
इस घटना ने एक बार फिर देश की सीमा सुरक्षा, अवैध प्रवास और पुलिस की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। सुप्रीम न्यायालय द्वारा दिए गए स्पष्ट संकेत से यह साफ है कि अवैध प्रवेश करने वालों के प्रति किसी भी प्रकार की ढील न्यायालय स्वीकार नहीं करेगा।