थाईलैंड के पूर्व पीएम थाकसिन शिनावात्रा को बड़ी राहत, राजशाही मानहानि से बरी
वर्षों से चले आ रहे राजनीतिक और कानूनी विवाद के बाद, थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा को राजशाही मानहानि के एक अहम मामले में बाईज्जत बरी कर दिया गया है। इस फैसले को थाईलैंड की अस्थिर राजनीति में एक बड़ी घटना माना जा रहा है।
- थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा को देश की राजशाही को बदनाम करने के आरोपों से बरी कर दिया गया है, जिससे उन्हें राजनीतिक और कानूनी मोर्चे पर बड़ी राहत मिली है।
- यह मामला थाईलैंड के विवादित ‘लेज मेजेस्टे’ कानून से जुड़ा था, जिसके तहत राजशाही की आलोचना करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है।
- शिनावात्रा, जिन्हें पहले भ्रष्टाचार के आरोपों में सजा सुनाई गई थी, अब पूरी तरह से आजाद हैं और उनके बरी होने से थाईलैंड की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं।
समग्र समाचार सेवा
बैंकॉक, 22 अगस्त, 2025: थाईलैंड के सबसे प्रभावशाली और विवादित नेताओं में से एक, थाकसिन शिनावात्रा को शुक्रवार को राजशाही मानहानि के मामले में बरी कर दिया गया। यह मामला 2015 में शिनावात्रा के एक साक्षात्कार से जुड़ा था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर राजशाही की आलोचना की थी। थाईलैंड का ‘लेज मेजेस्टे’ कानून दुनिया के सबसे सख्त मानहानि कानूनों में से एक है। इस कानून के तहत राजशाही की आलोचना करने पर लंबी जेल की सजा हो सकती है। मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि इस कानून का इस्तेमाल अक्सर राजनीतिक विरोधियों को चुप कराने के लिए किया जाता है।
थाकसिन पर आरोप था कि उन्होंने अपने साक्षात्कार के माध्यम से राजा और शाही परिवार की मानहानि की है। थाकसिन ने इन सभी आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया था। थाईलैंड में लंबे समय से चली आ रही राजनीतिक अस्थिरता में, शिनावात्रा परिवार हमेशा केंद्र में रहा है। थाकसिन 2006 के सैन्य तख्तापलट के बाद निर्वासन में चले गए थे और 2023 में ही देश लौटे थे।
क्यों था ये फैसला थाकसिन के लिए महत्वपूर्ण?
पिछले साल अगस्त में थाकसिन शिनावात्रा 15 साल के निर्वासन के बाद थाईलैंड लौटे थे। आते ही उन्हें भ्रष्टाचार के पुराने मामलों में 8 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन कुछ दिनों बाद ही थाईलैंड के राजा महा वजिरालोंगकोर्न ने उनकी सजा को घटाकर एक साल कर दिया। इस फैसले को एक राजनीतिक समझौते का परिणाम माना गया, जिसके तहत शिनावात्रा की पार्टी (फेउ थाई) ने मौजूदा सरकार के साथ गठबंधन किया।
राजशाही मानहानि का मामला शिनावात्रा के सिर पर लटकी एक तलवार की तरह था। इस मामले में दोषी पाए जाने पर उन्हें फिर से जेल जाना पड़ सकता था। अदालत का यह फैसला उन्हें पूरी तरह से कानूनी पचड़ों से मुक्त करता है। उनके बरी होने से थाईलैंड की राजनीति में उनके और उनके परिवार के प्रभाव में और वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि उनकी बेटी पैतोंगतार्न शिनावात्रा पहले से ही देश की प्रधानमंत्री हैं।
थाईलैंड की अस्थिर राजनीति और शिनावात्रा परिवार
थाकसिन शिनावात्रा एक दूरसंचार अरबपति हैं, जिन्होंने 2001 से 2006 तक थाईलैंड के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्हें ग्रामीण और गरीब मतदाताओं का भारी समर्थन मिला, लेकिन सेना और राजशाही समर्थक अभिजात वर्ग ने उनके खिलाफ विरोध किया। उनके खिलाफ कई बार तख्तापलट हुए और उनकी बहन यिंगलक शिनावात्रा को भी बाद में सत्ता से हटा दिया गया था।
शिनावात्रा परिवार, थाईलैंड में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन का चेहरा रहा है, जबकि सेना और राजशाही समर्थक रूढ़िवादी ताकतें उन्हें चुनौती देती रही हैं। थाकसिन का बरी होना इन दोनों खेमों के बीच की राजनीतिक खींचतान का एक और अध्याय है। विश्लेषकों का मानना है कि इस फैसले से थाईलैंड की राजनीतिक अस्थिरता कुछ समय के लिए कम हो सकती है, लेकिन यह सवाल अभी भी कायम है कि क्या थाईलैंड कभी स्थायी राजनीतिक स्थिरता हासिल कर पाएगा। इस फैसले ने शिनावात्रा के राजनीतिक जीवन में एक नया अध्याय शुरू कर दिया है, जिसमें वह अब जेल के डर के बिना काम कर सकते हैं।