भारत की जनता का समर्थन : वैश्विक न्याय और शांति की दिशा में एक संदेश

ईरानी दूतावास का बयान

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पूनम शर्मा 
इस्रायल और अमेरिका द्वारा ईरान पर किए गए सैन्य आक्रमण के विरोध में जिस तरह भारत की जनता और संस्थाओं ने ईरानी राष्ट्र के साथ एकजुटता दिखाई, वह न केवल मानवीय संवेदनाओं की सच्ची अभिव्यक्ति है, बल्कि यह वैश्विक न्याय, अंतरराष्ट्रीय कानून और शांति की दिशा में एक स्पष्ट संदेश भी है। नई दिल्ली स्थित ईरान के दूतावास ने इस समर्थन के प्रति आभार जताते हुए एक आधिकारिक बयान जारी किया है, जिसमें भारत के नागरिकों, राजनीतिक दलों, सांसदों, सामाजिक संगठनों, मीडिया, शिक्षाविदों, धार्मिक नेताओं और तमाम जनसामान्य के प्रति कृतज्ञता प्रकट की गई है।

दूतावास ने इस बयान में कहा कि ईरानी राष्ट्र पर हुए इस सैन्य हमले के समय जब दुनिया के कई देश चुप्पी साधे बैठे थे, तब भारत के लोगों ने साहस के साथ ईरान के साथ अपनी नैतिक और भावनात्मक एकजुटता दिखाई। यह न केवल एक मित्र राष्ट्र के लिए समर्थन था, बल्कि यह युद्ध और आक्रामकता के खिलाफ खड़े होने वाली उस वैश्विक चेतना का प्रतीक है, जो आज के अस्थिर विश्व में शांति और न्याय की मांग कर रही है।

बयान में यह भी कहा गया कि भारत से मिले समर्थन ने ईरानी जनता को अत्यंत प्रोत्साहित किया है, खासकर ऐसे समय में जब उनकी मातृभूमि पर ज़ायोनिस्ट शासन द्वारा निर्दयी बमबारी की गई। ईरानी दूतावास ने इस समर्थन को ‘जाग्रत अंतरात्मा की अभिव्यक्ति’ बताया और कहा कि यह दर्शाता है कि भारत जैसे राष्ट्र अभी भी अंतरराष्ट्रीय कानून, नैतिकता और मानवता के सिद्धांतों को महत्व देते हैं।

ईरानी दूतावास के अनुसार, यह संघर्ष केवल ईरान की भौगोलिक सीमाओं की रक्षा का नहीं था, बल्कि यह मानवता के खिलाफ हो रहे अन्याय, युद्धोन्माद और अंतरराष्ट्रीय संधियों के उल्लंघन के विरुद्ध एक प्रतिरोध का प्रतीक था। जब ज़ायोनिस्ट शासन और उसके समर्थकों ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों को ताक पर रखते हुए ईरान पर हमला किया, तब भारत की जनता और संस्थाओं की तरफ से आए समर्थन ने यह साबित कर दिया कि दुनिया के सचेत नागरिक अब अन्याय के खिलाफ खामोश नहीं रहने वाले।

दूतावास ने कहा कि यह समर्थन केवल राजनीतिक नहीं था, बल्कि यह ‘वैश्विक न्याय’ और ‘नैतिक मूल्यों’ की पुष्टि है। भारत और ईरान के बीच हजारों वर्षों पुराने सांस्कृतिक और सभ्यतागत रिश्ते इस एकजुटता की पृष्ठभूमि में और अधिक मजबूत होकर उभरे हैं। ईरानी पक्ष ने आशा जताई कि भारत-ईरान संबंध आने वाले समय में और गहरे होंगे और ये दोनों राष्ट्र शांति और स्थिरता के मार्ग में साझेदार बने रहेंगे।

बयान में यह भी स्पष्ट किया गया कि इस कठिन समय में भारत के विभिन्न हिस्सों में आयोजित शांति सभाओं, मोमबत्ती जलूसों, मीडिया विमर्शों और नागरिक संगठनों की ओर से जारी हुए समर्थन पत्रों ने न केवल ईरानी जनता का मनोबल बढ़ाया, बल्कि दुनिया के बाकी हिस्सों को भी एक नैतिक दिशा दिखाई। दूतावास ने इस समर्थन को ‘अनमोल और वास्तविक’ बताते हुए कहा कि ऐसे समय में जब युद्ध की भाषा तेज हो रही है, भारत जैसे देश की जनता का यह शांतिपूर्ण समर्थन अत्यंत सराहनीय है।

ईरानी दूतावास ने यह भी दोहराया कि ईरान हमेशा अंतरराष्ट्रीय कानून के सम्मान और विस्तारवादी नीतियों का विरोध करता रहा है। उन्होंने कहा कि देशों की एकता और जनसमर्थन ही अन्याय, युद्ध और साम्राज्यवादी षड्यंत्रों के खिलाफ सबसे मजबूत ढाल है। भारत से मिले समर्थन ने इस विश्वास को और बल दिया है।

बयान के अंत में ईरानी दूतावास ने भारत की जनता, नेताओं, शिक्षकों, धार्मिक गुरुओं, पत्रकारों और आम नागरिकों को उनके नैतिक समर्थन के लिए फिर से धन्यवाद दिया और आशा जताई कि यह एकजुटता न केवल वर्तमान संकट के समाधान में मदद करेगी, बल्कि आने वाले समय में एक शांतिपूर्ण और न्यायसंगत विश्व व्यवस्था की नींव रखेगी।

भारत  द्वारा दिखाया गया यह नैतिक साहस एक मिसाल है, जो बताता है कि जब सत्ता और साम्राज्यवादी ताकतें अन्याय पर उतर आएं, तब भी दुनिया में ऐसे लोग और देश मौजूद हैं जो न्याय, मानवता और शांति की आवाज़ बुलंद करने का हौसला रखते हैं।

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