CBI ने पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक समेत 8 पर किरू पावर प्रोजेक्ट में ₹2200 करोड़ की घोटाले की चार्जशीट दाखिल की
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22 मई-केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और सात अन्य व्यक्तियों के खिलाफ किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर (HEP) प्रोजेक्ट से जुड़े 2200 करोड़ रुपये के कथित भ्रष्टाचार मामले में चार्जशीट दाखिल की है। यह चार्जशीट तीन साल लंबी जांच के बाद विशेष अदालत में प्रस्तुत की गई।
चार्जशीट में श्री मलिक के अलावा उनके दो सहयोगी – वीरेन्द्र राणा और कंवर सिंह राणा के नाम शामिल हैं। अन्य आरोपियों में उस समय के चेन्नाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (CVPPPL) के प्रबंध निदेशक एम.एस. बाबू, निदेशक अरुण कुमार मिश्रा और एम.के. मित्तल, पेटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड के प्रबंध निदेशक रूपेन पटेल और निजी व्यक्ति कंवलजीत सिंह दुग्गल शामिल हैं।
श्री मलिक ने गुरुवार को ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए जानकारी दी कि वह अस्पताल में भर्ती हैं और शुभचिंतकों के कॉल्स का जवाब नहीं दे पा रहे हैं। यह मामला 2019 का है जब किरू हाइड्रो प्रोजेक्ट के सिविल वर्क्स का 2200 करोड़ रुपये का ठेका एक निजी कंपनी को देने में कथित अनियमितताओं की बात सामने आई थी। सीबीआई ने 2022 में इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी।
सत्यपाल मलिक, जो 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे, ने पूर्व में दावा किया था कि उन्हें दो फाइलों को मंज़ूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी, जिनमें से एक फाइल इस परियोजना से जुड़ी थी। उन्होंने खुद पर लगे भ्रष्टाचार के सभी आरोपों को लगातार खारिज किया है।
पिछले वर्ष जब सीबीआई ने उनके ठिकानों पर छापेमारी की थी, तब मलिक ने कहा था, “उन्हें मेरे पास से चार-पांच कुर्ता-पाजामा ही मिलेगा। तानाशाह मुझे डराने के लिए सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहा है। मैं किसान का बेटा हूं, न डरूंगा, न झुकूंगा।”
सीबीआई की एफआईआर में उस समय के CVPPPL के चेयरमैन नवीन कुमार चौधरी, एम.एस. बाबू, एम.के. मित्तल, अरुण मिश्रा और पेटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड के खिलाफ भ्रष्टाचार और गड़बड़ी के आरोप लगाए गए हैं। एफआईआर में कहा गया है कि कंपनी की 47वीं बोर्ड बैठक में ई-टेंडरिंग और रिवर्स ऑक्शन के माध्यम से पुनः टेंडर निकालने का निर्णय लिया गया था, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया और अगली 48वीं बोर्ड बैठक में पेटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को ठेका दे दिया गया।
सीबीआई ने इस टेंडर प्रक्रिया में बड़े स्तर पर धांधली और नियमों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए अदालत में चार्जशीट पेश की है। इस चार्जशीट से अब देश की राजनीति और नौकरशाही में एक बार फिर हलचल मच गई है, खासकर इसलिए क्योंकि एक पूर्व राज्यपाल पर इतनी बड़ी धनराशि से जुड़े भ्रष्टाचार में संलिप्तता का आरोप है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि विशेष अदालत इस मामले में क्या रुख अपनाती है और क्या इस मामले से जुड़े सभी लोगों पर कानूनी शिकंजा और कसता है।