कांगो की सड़कों पर 900 लाशें… खनिज पर कब्जे के लिए पड़ोसी देश रवांडा ने मचाई तबाही

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 4 फरवरी।
अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) में हिंसा और नरसंहार का एक नया भयावह दौर शुरू हो चुका है। हाल ही में सामने आई रिपोर्टों के मुताबिक, कांगो की सड़कों पर 900 से ज्यादा लाशें पड़ी मिली हैं। इस तबाही के पीछे मुख्य कारण खनिज संपदा पर कब्जे की लड़ाई बताया जा रहा है, जिसमें कांगो और उसके पड़ोसी देश रवांडा के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है।

क्या है पूरा मामला?

  • खनिज संपदा पर कब्जे की लड़ाई: कांगो दुनिया के सबसे अधिक खनिज संपन्न देशों में से एक है। यहां कोबाल्ट, सोना, और टैंटलम जैसे कीमती खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जिनका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स, बैटरी और हाई-टेक इंडस्ट्री में किया जाता है।
  • रवांडा पर हिंसा भड़काने का आरोप: कांगो सरकार का आरोप है कि रवांडा समर्थित M23 विद्रोही संगठन इन इलाकों में घातक हमले कर रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को या तो मारा जा रहा है या विस्थापित किया जा रहा है।
  • हिंसा का ताजा दौर: हाल ही में कांगो के गोमा, नॉर्थ किवु और दक्षिण किवु इलाकों में भीषण संघर्ष हुआ, जहां रवांडा समर्थित विद्रोहियों ने गांवों पर हमला कर सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया।

900 से ज्यादा लोगों की निर्मम हत्या

मीडिया रिपोर्ट्स और स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, हिंसा प्रभावित इलाकों में 900 से अधिक शव मिले हैं। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं।

  • कुछ शव सड़कों पर खुले में पड़े थे, जबकि कई को सामूहिक कब्रों में दफनाया गया।
  • मृतकों में मज़दूर और ग्रामीण लोग ज्यादा हैं, जो इन खनिज क्षेत्रों में काम करते थे।
  • घरों को आग के हवाले कर दिया गया, महिलाओं पर हिंसा हुई और हजारों लोग विस्थापित हो गए।

क्यों बढ़ा कांगो और रवांडा के बीच तनाव?

  1. M23 विद्रोही समूह का उभार – कांगो सरकार का कहना है कि रवांडा की सेना M23 विद्रोहियों को समर्थन दे रही है, जो खनिज क्षेत्रों पर कब्जा जमाने के लिए हमले कर रहे हैं।
  2. खनिजों की तस्करी – रवांडा पर आरोप है कि वह अवैध रूप से कांगो के खनिज संसाधनों की तस्करी कर रहा है और उन्हें वैश्विक बाज़ार में ऊंचे दामों पर बेच रहा है।
  3. राजनीतिक अस्थिरता – कांगो में लंबे समय से अस्थिरता बनी हुई है, जिससे विद्रोही गुटों को खुली छूट मिल रही है। रवांडा इसका फायदा उठाकर अपने प्रभाव को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

  • संयुक्त राष्ट्र (UN) ने इस हिंसा पर गहरी चिंता जताई है और कांगो सरकार से स्थिति को काबू में लाने का आग्रह किया है।
  • अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) ने रवांडा सरकार से अपील की है कि वह कांगो की संप्रभुता का सम्मान करे और हिंसा को बढ़ावा न दे।
  • अफ्रीकी यूनियन (AU) ने दोनों देशों के नेताओं से शांति वार्ता करने का आह्वान किया है।

क्या होगा आगे?

  • कांगो सरकार अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सैन्य और आर्थिक मदद मांग रही है ताकि वह विद्रोहियों से निपट सके।
  • अगर हालात नहीं सुधरते हैं, तो यह संघर्ष एक बड़े अंतरराष्ट्रीय संकट का रूप ले सकता है, जिससे पूरे अफ्रीकी क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ सकती है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि अगर रवांडा और कांगो के बीच तनाव नहीं सुलझा, तो यह जंग और भीषण रूप ले सकती है।

निष्कर्ष

कांगो की खनिज संपदा अब उसके लिए अभिशाप बन गई है। पड़ोसी देश रवांडा के साथ संघर्ष, विद्रोही गुटों की बढ़ती हिंसा और हजारों लोगों की मौत ने दुनिया का ध्यान इस मानवीय संकट की ओर खींचा है। अब देखने वाली बात होगी कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस समस्या को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाता है, या फिर अफ्रीका एक और भयावह युद्ध की ओर बढ़ रहा है?

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