
यह सर्वविदित है कि भारतीय स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष को हम भारतवासियों ने “आजादी के अमृत महोत्सव” के रूप में मनाया। यह महोत्सव आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के 75 सप्ताह पूर्व ही गांधी जी की दांडी यात्रा (12 मार्च 1930 )के 91 वर्ष पूर्ण होने (12 मार्च 2021 )के उपलक्ष्य में प्रारंभ हुआ।यह महोत्सव 15 अगस्त 2023 तक अनवरत जारी रहा। अब अमृत काल चल रहा है।26 जनवरी 2025को हम भारतवासी गणतंत्र के 75में वर्ष को पूर्ण कर गणतंत्र के 76वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं ।जब 15 अगस्त को भारत को अंग्रेजी शासन से मुक्ति मिली थी तब भारत देश का अपना कोई संविधान नहीं था। प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू अपने प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था का कार्य अंग्रेजों द्वारा संचालित भारत शासन अधिनियम 1935 के अनुसार ही कार्य कर रहे थे।(संविधान सभा ने 9 दिसंबर 1947 से अपना कार्य आरंभ कर 26 नवंबर 49 पूर्ण कर संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद को “भारत का संविधान “सुपुर्द कर दिया) प्रशासनिक रूप से हम 26 जनवरी 1950 को स्वतंत्र हुए। भारत के अंतिम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने वर्ष 1950 में 26 जनवरी के दिन बृहस्पतिवार को सुबह 10:18 पर भारत को संप्रभु; धर्मनिरपेक्ष; लोकतांत्रिक और गणराज्य घोषित किया । 26 जनवरी 1950 को हमें ‘भारत का संविधान ‘और भारत का ‘प्रथम नागरिक’ राष्ट्रपति भी मिला । वह अभूतपूर्व क्षण था जब भारत के प्रथम न्यायाधीश न्यायमूर्ति हीरालाल कालिया ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में डॉ० राजेंद्र प्रसाद जी को हिंदी में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलवाई थी ।इसी दिन इरविन स्टेडियम में 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रपति जी नेतिरंगा फहरा कर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया। ।उसी दिन प्रथम राष्ट्रपति की हैसियत से26 जनवरी को ‘राष्ट्रीय अवकाश’ घोषित किया था। गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बुलाने की परंपरा भी इसी दिन से शुरू हुई । प्रथम अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो (1950_1954)आए थे ।26 जनवरी 2023 को 81 वें अतिथि के रूपमें मिस्र (इजिप्ट) के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सिसी शिरकत की थी।2024 (82 वें )में 75 वें गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रो थे। 26 जनवरी 2025 को 76वां गणतंत्र दिवस है।
इंडोनेशिया इस गणतंत्र दिवस पर ( 83 वें अतिथि के रूप में)चौथी बार मुख्य अतिथि बनने जा रहा है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुवियंतो के मुख्य अतिथि बनने की संभावना है। इंडोनेशिया को मुख्य अतिथि बनाने का उद्देश्य भारत इंडोनेशिया के बीच रक्षा ;सामरिक साझेदारी और व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करना है। गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया सैन्य दल के भाग लेने की भी योजना है। जो दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करेगा। यह आमंत्रण ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इंडोनेशिया के प्रथम राष्ट्रपति सुकरणों 26 जनवरी 1950 में प्रथम मुख्य अतिथि बने थे तब से लेकर वर्तमान समय तक भारत ने पिछले कुछ वर्षों में इंडोनेशिया के साथ रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया है। मिसाइल और अन्य रक्षा उपकरनो की आपूर्ति भी इसमें शामिल है। इस आतिथ्य से सांस्कृतिक और सामरिक संबंध भारत _ इंडो पेसिफिक क्षेत्र में और मजबूती आएगी।
देश की शान “राष्ट्रीय ध्वज” की बात करें तो
भारत का राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों का है ;इसे तिरंगा कहते हैं ।तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया बीच में श्वेत और सबसे नीचे हरा रंग होता है श्वेत रंग पर नीले रंग का अशोक चक्र का चिन्ह होता है। अशोक चक्र में चौबीस तीलियां होती हैं ।राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के निर्माता पिंगली वेंकैया थे।
26 जनवरी को वर्ष 1955 से भारत के राष्ट्रपति दिल्ली के राजपथ पर तिरंगा फहराते हैं । सुभाष चंद्र बोस जी की 125 वीं जयंती 2022 से राजपथ का नाम अब “कर्तव्य पथ “कर दिया गया है। माननीया राष्ट्रपति अब कर्तव्य पथ पर भारतीय ध्वज फहराती हैं। 26 जनवरी में तिरंगा ऊपर ही बना होता है; जिसे पूरा खोलकर फहराया जाता है; इसे झंडा फहराना ;फ्लैग अनफर्लिंग(Flag Unfurling) कहते हैं।
15 अगस्त को भारत के प्रधान मंत्री “लाल किले “पर ध्वजारोहण करते हैं। तिरंगे को नीचे से रस्सी के माध्यम से खींचकर फहराया जाता है तो इसे ध्वजारोहण; फ्लैग होस्टिंग ( Flag Hosting) कहते हैं।
अतः स्पष्ट है कि 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री
द्वारा ध्वजारोहण किया जाता है और 26 जनवरी को राष्ट्रपति जी द्वारा तिरंगा फहराया जाता है।
डॉ० ममता पांडेय
सहायक प्राध्यापक
राजनीति विज्ञान
शासकीय महाविद्यालय रामपुर बघेलान (म प्र)