कहां खो गई दिल्ली की दिसंबर वाली सर्दी? राजधानी में 24 तो मुंबई में 37 डिग्री का तापमान कर रहा परेशान

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,5 दिसंबर।
दिसंबर का महीना शुरू हो चुका है, लेकिन दिल्ली की वह ठिठुरन भरी सर्दी कहीं नजर नहीं आ रही है, जो आमतौर पर इस समय राजधानी को अपनी चपेट में ले लेती थी। इस बार, दिल्ली का न्यूनतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है, जो सामान्य से काफी अधिक है। वहीं, मुंबई में गर्मी ने दिसंबर के महीने में रिकॉर्ड बना दिया है, जहां पारा 37 डिग्री तक पहुंच चुका है। इस अजीब मौसम ने न केवल दिल्ली और मुंबई के लोगों को परेशान कर दिया है, बल्कि पर्यावरणविदों को भी चिंतित कर दिया है।

दिल्ली की सर्दी पर क्या असर पड़ा?

दिल्ली में दिसंबर के पहले हफ्ते तक आमतौर पर सर्द हवाएं चलने लगती थीं, और तापमान 10 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच जाता था। लेकिन इस साल स्थिति बिल्कुल अलग है।

  • पश्चिमी विक्षोभ का असर:
    विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ इस बार देर से सक्रिय हुआ है, जिससे ठंड का आगमन धीमा हो गया है।
  • वायु प्रदूषण:
    दिल्ली का वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी तापमान में बढ़ोतरी का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।

मुंबई की रिकॉर्ड तोड़ गर्मी

दिसंबर के महीने में मुंबई का तापमान 37 डिग्री तक पहुंचना असामान्य है। आमतौर पर इस समय मुंबई का तापमान 30-32 डिग्री के बीच रहता है।

  • समुद्री हवाओं का प्रभाव घटा:
    मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि अरब सागर से आने वाली ठंडी हवाओं में कमी आई है, जिससे मुंबई में गर्मी बढ़ी है।
  • शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन:
    मुंबई का बढ़ता शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन भी तापमान में बढ़ोतरी का कारण है।

मौसम में बदलाव का कारण

भारत में इस बार सर्दी की देरी का मुख्य कारण वैश्विक जलवायु परिवर्तन माना जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम के पैटर्न में बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं।

  1. एल नीनो का प्रभाव:
    प्रशांत महासागर में एल नीनो की स्थिति ने भी भारतीय उपमहाद्वीप के मौसम पर असर डाला है।
  2. कार्बन उत्सर्जन:
    बढ़ता कार्बन उत्सर्जन और ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण सर्दी का मौसम कमजोर पड़ता जा रहा है।

प्रभाव और चुनौतियां

इस असामान्य मौसम का असर आम जनजीवन पर साफ देखा जा सकता है।

  • स्वास्थ्य समस्याएं:
    गर्मी और प्रदूषण के कारण लोग सर्दी-जुकाम, एलर्जी और सांस संबंधी बीमारियों से परेशान हैं।
  • फसलों पर प्रभाव:
    ठंड की कमी से रबी की फसलों, जैसे गेहूं और सरसों की पैदावार पर भी असर पड़ सकता है।
  • ऊर्जा खपत:
    ठंड में देरी से बिजली की खपत बढ़ गई है, क्योंकि लोग पंखे और एसी का इस्तेमाल कर रहे हैं।

क्या होगा आगे?

मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले दिनों में दिल्ली और उत्तर भारत में ठंड बढ़ने की संभावना है। पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से तापमान में गिरावट दर्ज की जा सकती है। वहीं, मुंबई में भी ठंडी हवाएं लौट सकती हैं, जिससे तापमान सामान्य हो सकता है।

निष्कर्ष

दिल्ली और मुंबई का यह अजीब मौसम न केवल जलवायु परिवर्तन की ओर इशारा करता है, बल्कि हमारी जीवनशैली और पर्यावरण पर ध्यान देने की जरूरत को भी रेखांकित करता है। समय रहते यदि ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में इस तरह की असामान्य स्थितियां और गंभीर हो सकती हैं।

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