बांग्लादेश में ‘हिंदू सुरक्षित’ दावा करने वाले यूनुस के अफसर पलटे, इस्कॉन मंदिर पर हमले की सच्चाई आई सामने

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,30 नवम्बर।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की सुरक्षा को लेकर हाल के वर्षों में लगातार सवाल उठते रहे हैं। अब, इस्कॉन मंदिर पर हुए हमले को लेकर बांग्लादेश सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के बयान ने एक बार फिर इस मुद्दे को चर्चा में ला दिया है। पहले हिंदुओं की सुरक्षा का दावा करने वाले अधिकारी अब इस्कॉन मामले पर गोलमोल जवाब देते नजर आए।

क्या है मामला?

हाल ही में बांग्लादेश के एक इस्कॉन मंदिर पर हमला हुआ, जिसमें मूर्तियों को क्षतिग्रस्त किया गया और धार्मिक ग्रंथों का अपमान किया गया। इस घटना ने हिंदू समुदाय को झकझोर दिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी निंदा हुई।

बांग्लादेश सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी, जिन्होंने पहले कहा था कि ‘बांग्लादेश में हिंदू पूरी तरह सुरक्षित हैं’, अब इस मामले में सटीक जवाब देने से बचते नजर आए। उन्होंने कहा कि यह एक अलग-थलग घटना है और इसे सांप्रदायिक हिंसा के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

यूनुस के अफसर का बयान

सरकार के प्रवक्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के करीबी माने जाने वाले एक अधिकारी ने पहले दावा किया था कि ‘बांग्लादेश में अल्पसंख्यक पूरी तरह सुरक्षित हैं और उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं है।’
लेकिन इस्कॉन मंदिर हमले पर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने इसे एक “स्थानीय विवाद” कहकर टाल दिया। उनके इस रवैये ने आलोचना को और बढ़ा दिया है।

हिंदू समुदाय की स्थिति

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पिछले कई वर्षों से उत्पीड़न और हमलों का सामना कर रहा है।

  1. सांप्रदायिक हिंसा: दुर्गा पूजा के दौरान मूर्तियों को तोड़ने और पूजा पंडालों पर हमलों की घटनाएं लगातार सामने आती रही हैं।
  2. जमीन कब्जा: कई मामलों में हिंदुओं की जमीन और संपत्ति पर कब्जा किया जाता है।
  3. धार्मिक असहिष्णुता: धार्मिक स्थलों को निशाना बनाना आम हो गया है।

इस्कॉन का बयान

इस्कॉन के अधिकारियों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि ‘यह घटना धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है और इसे बांग्लादेश सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए।’
इस्कॉन ने बांग्लादेश सरकार से मांग की है कि दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए और हिंदू समुदाय को सुरक्षा प्रदान की जाए।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इस घटना पर भारत समेत कई देशों ने चिंता व्यक्त की है।

  • भारत सरकार ने बांग्लादेश से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
  • अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं।

सरकार की आलोचना

बांग्लादेश की सरकार पर विपक्ष और मानवाधिकार संगठनों ने तीखी आलोचना की है।

  • सरकार पर अल्पसंख्यकों की समस्याओं को अनदेखा करने का आरोप लगा है।
  • कई मामलों में स्थानीय प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध मानी गई है।

निष्कर्ष

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। इस्कॉन मंदिर पर हमले ने इस समस्या को एक बार फिर उजागर कर दिया है। सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के गोलमोल बयानों से स्थिति और चिंताजनक हो गई है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव और हिंदू समुदाय की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए, यह देखना होगा कि बांग्लादेश सरकार इन मुद्दों पर कितनी सख्ती से कार्रवाई करती है और अल्पसंख्यकों को वास्तविक सुरक्षा प्रदान करती है।

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