समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,27 नवम्बर। बांग्लादेश में अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (ISKCON) के खिलाफ विवाद गहराता जा रहा है। ढाका हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें ISKCON पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। याचिका में संगठन को “कट्टरपंथी” बताते हुए कहा गया है कि यह धार्मिक भावनाओं को भड़काने और सामाजिक शांति भंग करने के प्रयास में जुटा है।
ISKCON ने इस आरोप को खारिज करते हुए इसे हिंदू समुदाय को निशाना बनाने का प्रयास बताया है। संगठन के अधिकारियों ने कहा कि वे केवल धार्मिक प्रचार और समाज सेवा के कार्य कर रहे हैं। वहीं, बांग्लादेश सरकार का कहना है कि वह इस मामले की निष्पक्ष जांच करेगी।
हाल के समय में बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं। ISKCON के चटगांव स्थित एक नेता, चिन्मय दास ब्रह्मचारी, पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने और राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। इस घटना के बाद हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है।
इसके अलावा, ISKCON मंदिरों पर हमले की घटनाएं भी सामने आई हैं। कुछ महीने पहले नोआखाली में उपद्रवियों ने एक ISKCON मंदिर में तोड़फोड़ की, जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया था। मंदिर में धार्मिक पुस्तकों और संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया।
इस विवाद ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें अब इस मामले पर टिकी हैं, जहां मानवाधिकार संगठनों ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।