समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,1 अक्टूबर। हाल ही में, उच्च न्यायालय ने एक विचारणीय मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया है, जब न्यायालय ने पूछा कि “एक व्यक्ति जिसने अपनी बेटी की शादी कर दी और उसे जीवन में अच्छी तरह से स्थापित किया, वह दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और एकांतवासी की तरह जीवन जीने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहा है?” यह सवाल न केवल एक पिता की जिम्मेदारियों को सामने लाता है, बल्कि सामाजिक और नैतिक प्रश्नों को भी जन्म देता है।