केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति पर स्टेनलेस स्टील के उपयोग की बात की: बयान ने राजनीतिक हलचल मचाई

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,4 सितम्बर। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में एक कार्यक्रम में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के निर्माण पर एक दिलचस्प बयान दिया, जिसने राजनीतिक और सांस्कृतिक हलकों में हलचल मचा दी है। गडकरी ने कहा कि अगर छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति में स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल किया गया होता, तो वह कदाचित वर्तमान में भी खड़ी रहती और उसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं होता।

गडकरी ने अपने बयान में बताया कि छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के निर्माण में इस्तेमाल किए गए सामग्री की गुणवत्ता और टिकाऊपन की कमी के कारण उनकी मूर्ति की हालत अब दयनीय हो गई है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर स्टेनलेस स्टील का उल्लेख किया, जो मौसम के प्रभावों से काफी हद तक सुरक्षित रहता है और लंबे समय तक अपने स्वरूप को बनाए रखता है।

गडकरी के इस बयान ने न केवल मूर्ति के निर्माण में उपयोग की गई सामग्री को लेकर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी संकेत किया है कि भविष्य में ऐसे सांस्कृतिक स्मारकों के निर्माण में सामग्री की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि अगर उन्हें पहले इस बात का पता होता, तो वे शायद उस समय मूर्ति के निर्माण में ज्यादा ध्यान रखते और बेहतर सामग्री का चयन करते।

इस बयान के बाद, राजनीतिक और सांस्कृतिक हलकों में गडकरी की टिप्पणी पर विविध प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोगों ने गडकरी के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि यह मुद्दा सांस्कृतिक स्मारकों की गुणवत्ता और उनकी देखरेख पर ध्यान देने की आवश्यकता को उजागर करता है। वहीं, कुछ ने इसे गडकरी की आलोचना के रूप में देखा और सवाल उठाया कि क्या यह बयान मौजूदा स्थिति से बचने के लिए एक बहाना है।

इस मुद्दे पर अब राजनीतिक दलों और सांस्कृतिक संगठनों ने अपनी प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दिया है। कुछ ने गडकरी की सलाह को सकारात्मक रूप में लिया और मूर्तियों के निर्माण में आधुनिक तकनीकों और बेहतर सामग्री के इस्तेमाल की बात की है। वहीं, अन्य ने इसे एक विवादास्पद बयान करार दिया और मौजूदा हालात के प्रति गडकरी की असंवेदनशीलता की आलोचना की है।

गडकरी के बयान ने एक बार फिर सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर की देखरेख की महत्वता को उजागर किया है और यह सवाल उठाया है कि कैसे हम अपने सांस्कृतिक स्मारकों को लंबे समय तक संरक्षित रख सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयान के बाद कौन से कदम उठाए जाते हैं और इस मुद्दे पर आगे क्या कार्रवाई की जाती है।

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