समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1अगस्त। भारत ने 21 से 31 जुलाई, 2024 तक पहली बार विश्व धरोहर समिति की बैठक के 46वें सत्र की मेजबानी की। नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम 1977 में आरंभ हुए विश्व धरोहर सम्मेलन के साथ भारत की दीर्घकालिक सहभागिता की दिशा में एक उपलब्धि साबित हुआ है। चार कार्यकालों तक विश्व धरोहर समिति में भारत की सक्रिय भागीदारी, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और क्षमता निर्माण के प्रति उसके समर्पण को रेखांकित करती है।
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने धरोहर के संरक्षण के प्रति भारत की संकल्पबद्धता को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत लंबे समय से विश्व धरोहर सम्मेलन के मूल्यों की वकालत करता रहा है। विश्व धरोहर समिति की 46वीं बैठक के सफल समापन पर आयोजित प्रेस ब्रीफिंग में उन्होंने कहा, “हमारी प्रतिबद्धता सीमाओं से परे है, जो पड़ोसी देशों के साथ हमारे विभिन्न संरक्षण और क्षमता निर्माण संबंधी कदमों के माध्यम से परिलक्षित होती है।”
विश्व धरोहर समिति की बैठक के 46वें सत्र का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 21 जुलाई 2024 को विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति में किया। “विकास भी, विरासत भी” के अपने विजन के अनुरूप प्रधानमंत्री श्री मोदी ने उद्घाटन सत्र में यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र को 1 मिलियन डॉलर के अनुदान की घोषणा की। यह योगदान क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता, और संरक्षण के प्रयासों में सहायता देगा, जिससे विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के देशों को लाभ होगा।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने अपनी ब्रीफिंग में कहा, “बीते 10 वर्षों में भारत ने आधुनिक विकास के नए आयाम छूए हैं, साथ ही ‘विरासत पर गर्व’ का संकल्प भी लिया है।” उन्होंने देश भर में चल रही काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, अयोध्या में राम मंदिर और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के आधुनिक परिसर के निर्माण जैसी कई धरोहर संरक्षण परियोजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के प्रयासों से पिछले दशक में 13 विश्व धरोहर संपत्तियों को सफलतापूर्वक सूचीबद्ध किया गया है, जिससे भारत सबसे अधिक विश्व धरोहर स्थलों के संबंध में दुनिया में छठे स्थान पर आ गया है।
श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सत्र के परिणामों के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि विश्व धरोहर सम्मेलन के 46वें सत्र में 24 नए विश्व धरोहर स्थलों को सूचीबद्ध किया गया, जिनमें 19 सांस्कृतिक, 4 प्राकृतिक और 1 मिश्रित संपत्ति शामिल हैं। असम का मोईदाम्स भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल बन गया, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि यह असम का पहला ऐसा सांस्कृतिक स्थल है जिसे यह मान्यता मिली है। चराईदेव जिले में स्थित, मोईदाम्स अहोम राजवंश के दफनाने वाले पवित्र टीले हैं, जो छह शताब्दियों के सांस्कृतिक और स्थापत्य विकास को दर्शाते हैं।
मोईदाम्स के बारे में अधिक जानकारी:
चराईदेव मोईदाम: भारत का 43वां यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल।
मोईदाम्स – अहोम राजवंश की माउंड-दफन प्रणाली यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में भारत की 43वीं प्रविष्टि के रूप में शामिल।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने द्विपक्षीय बैठकों की चर्चा करते हुए बताया कि भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संपत्ति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे सांस्कृतिक संपत्ति में अवैध व्यापार से निपटने की प्रतिबद्धता को बल मिला। इसके अतिरिक्त, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने क्षमता निर्माण और मूर्त धरोहर पर शोध के लिए आईसीसीआरओएम के साथ समझौता किया। डब्ल्यूएचसी के 46वें सत्र में युवा धरोहर पेशेवर मंच और साइट प्रबंधक मंच भी शामिल हुए, जिससे धरोहर संरक्षण में वैश्विक विशेषज्ञता में वृद्धि हुई।