“डीओपीटी बिना किसी विलंब के समय पर पदोन्नति सुनिश्चित करने को उत्सुक”: डॉ. जितेंद्र सिंह

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21नवंबर। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि डीओपीटी (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) बिना किसी देरी के समय पर पदोन्नति सुनिश्चित करने के लिए उत्सुक है।

डॉ. सिंह केंद्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा संगठन के प्रतिनिधिमंडल से बात कर रहे थे जिसने नई दिल्ली में उनसे मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने व्यापक स्तर पर पदोन्नति का आदेश देकर विलंबित पदोन्नति मामलों के बैकलॉग को खत्म करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया और राजभाषा अधिकारियों से संबंधित शेष मामलों के इसी तरह निपटारे का अनुरोध किया।

यह आश्वासन देते हुए कि कार्मिक मंत्रालय का डीओपीटी विभिन्न संवर्गों में सरकारी कर्मचारियों की समय पर पदोन्नति के बारे में समान रूप से चिंतित है, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस वर्ष जून में, डीओपीटी ने एएसओ के पद पर काम करने वाले 1,592 अधिकारियों की बड़े पैमाने पर तत्काल प्रभाव से तदर्थ आधार पर एसओ के पद पर पदोन्नति को मंजूरी दी थी।

डीओपीटी प्रभारी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के निर्देश पर पदोन्नति में तेजी लाई गई, जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से पूरी प्रक्रिया की समीक्षा की।डॉ. सिंह ने कहा कि केवल पिछले साल ही लगभग 9,000 पदोन्नतियां की गईं और उससे पहले डीओपीटी ने पिछले तीन वर्षों में 4,000 पदोन्नतियां दी थीं।

प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने व्यापक स्तर पर पदोन्नति को मंजूरी देने में व्यक्तिगत रुचि प्रदर्शित करने के लिए डॉ. जितेंद्र सिंह के प्रति आभार व्यक्त करते हुए डीओपीटी के प्रभारी मंत्री से अनुरोध किया कि वे अपने कैडर में पदोन्नति नीति की समीक्षा करें क्योंकि वहां पदोन्नति की संभावनाएं कम हैं, जिससे कर्मचारियों का मनोबल प्रभावित हो रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस बात के लिए बहुत उत्सुक हैं कि मेहनती और निष्पादन करने वाले अधिकारियों को काम के अनुकूल माहौल प्रदान किया जाना चाहिए और साथ ही, समय पर सेवा लाभ भी प्रदान किया जाना चाहिए जिससे कि वे राष्ट्र निर्माण में अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित रहें।

डॉ. सिंह ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में, सरकार ने समय-समय पर विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में लंबित न्यायालयी मामलों, उच्च ग्रेड में रिक्तियों की कमी और अन्य कार्मिक मुद्दों के कारण लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध के मुद्दों की समीक्षा की है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार कुछ संवर्गों और कुछ स्तरों पर लंबे समय तक गतिरोध को लेकर चिंतित है, जहां प्रशासन के सबसे निचले स्तर पर काम करने वाले कुछ कर्मचारी एक भी पदोन्नति प्राप्त किए बिना 30 से 35 वर्षों का अपना पूरा सेवा कार्यकाल व्यतीत करते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की है और प्रशासन के मध्य और निचले स्तर पर गतिरोध से बचने के लिए कई अभिनव कदम उठाए गए हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि मामलों की बड़ी संख्या, पदोन्नति में रुकावट पिछली सरकारों द्वारा लिए गए अनुचित निर्णयों के कारण हुई मुकदमेबाजी या समय से पहले पदोन्नति देने के लिए नियमों को तोड़ने-मरोड़ने का परिणाम थी।

डॉ. सिंह ने कहा कि हाल के वर्षों में मंजूर की गई 4,000 पदोन्नतियों में से कुछ में, सरकार ने कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श करके और न्यायिक जांच के लिए वैध प्रावधान बनाकर मामले विचाराधीन होने के बावजूद पदोन्नति को मंजूरी दी।

सीएसएस कैडर से संबंधित इन कर्मचारियों की व्यापक स्तर पर पदोन्नति के आदेश पिछले महीनों में डॉ. जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में डीओपीटी में कई दौर की उच्च स्तरीय बैठकों के बाद जारी किए गए थे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि शासन में सुगमता लाने के साथ-साथ पैनल में निष्पक्षता लाने के लिए, सरकार ने पिछले नौ वर्षों में प्रक्रियाओं में सुधार किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पदोन्नति कार्यान्वयन में कोई व्यक्तिपरक प्राथमिकताएं शामिल न हों।

उन्होंने कहा, “मानव भागीदारी को कम करने के लिए परिष्कृत प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करके प्रक्रियाओं को और अधिक हाईटेक बनाया गया है।”

डॉ. सिंह ने कहा कि प्रशासनिक सुधारों के हिस्से के रूप में, सरकार ने 1,600 से अधिक नियमों को हटा दिया है जो या तो अप्रचलित थे या समय व्यतीत होने के साथ अप्रासंगिक हो गए थे।

उन्होंने कहा, “यह सब न केवल जनता के लिए परिणामों की प्रभावी और समय पर उनका वितरण सुनिश्चित करने के लिए है, बल्कि कर्मचारियों को अपनी क्षमता के अनुसार सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सक्षम बनाने के लिए भी है।”

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