भारत में देश द्रोहियों से सावधान…

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

*भुवनेश्वर पारीक हिंदू

भारत मे न दलित खतरे में हैं , न मुसलमान खतरे में हैं और न ही संविधान खतरे में है ! और हां कोई डर भी नहीं रहा ! कोई डरा भी नहीं रहा ! खतरे में वे हैं जिन्होंने आजादी मिलने के बाद कईं दशकों तक इस देश को लूटा है । खतरे में वे हैं जिन्होंने विभाजन के बाद आरएसएस और हिन्दू महासभा का डर दिखाकर मुसलमानों को ठगा और उन्हें लगातार वोट बैंक बने रहने के लिए मजबूर किया । खतरे में वे हैं जिन्होंने कथित ब्राह्मणवाद , ठाकुरवाद और बनियावाद का खौफ दिखाकर दलित समाज और कथित सवर्णों के बीच खाई खोदकर रक्खी । खतरे में वे हैं जिन्होंने इस देश की अस्मिता से खिलवाड़ किया , हिन्दू – मुस्लिम के बीच दरारें पैदा की । खतरे में न भारत है और न राष्ट्रवाद । खतरे में वे हैं जिन्होंने जन गण मन से वन्देमातरम को लड़ाया , जिन्होंने एक राष्ट्र दो ध्वज का नारा दिया और वे हैं जिन्होंने कईं दशकों तक गरीबी हटाओ के नारे लगाकर गरीबों की पीठ पर बेबसी के भारी वजन लादे । जी हां , खतरे में वे हैं जिन्होंने निर्माण का दौर शुरू करने के दशक में तानाशाही का बेहद कड़ुआ स्वाद देश की गरीब जनता को चखाया । निर्दोष जनता को जेलों में ठूंसा , परिवार नियोजन के नाम पर अविवाहितों की नसें काट डाली , मंडल और कमंडल के बीच समाज को बांट डाला। खतरे में वे हैं जिनकी विचारधारा के खिलाफ लोग साथ छोड़ते गए और जिनके खिलाफ देश में दर्जनों राजनैतिक पार्टियां बनती चली गई । ठीक कहा कि खतरे में वे हैं जिन्होंने तश्तरी में रखकर तिब्बत चीन को दे दिया , पीओके बनवा दिया और लाखों हैक्टेयर जमीन चाओमाओ के हवाले कर देश को शर्मसार कर दिया। भारत खतरे में नहीं है भारत दो हजार साल पहले तब भी खतरे में नहीं था जब अत्यंत क्रूर हूणों और शकों ने चीन को रौंदते हुए भारत पर राज करना चाहा । तब भी खतरे में नहीं था जब यूनान से सिकंदर विश्वविजय को निकला और भारतवर्ष की जिजीविषा से भयभीत होकर यहीं से वापस लौट गया । भारत तब भी खतरे में नहीं पड़ा जब एक हजार साल पहले महमूद गजनवी से लेकर औरंगजेब जैसे आक्रांता भारत को लूटने आए , छह सौ वर्षों तक क्रूरतापूर्वक राज करते रहे । भारत उन अंग्रेजों से नहीं डरा जिन्होंने दो तिहाई दुनिया पर राज किया , भारत को दो सौ सालों तक लूटा । भारत न तब खतरे में पड़ा और न डरा । आज कुछ लोग न जाने क्यूं ” हम नहीं डरते ” , ” हम नहीं डरते ” का शोर मचाते फिर रहे हैं ? अरे भाई पहले यह तो बताओ कि डरा कौन रहा है ? किसी ने कहा क्या कि वह डरा हुआ है ? न कोई डर रहा है न कोई डरा हुआ है और न कोई डरा रहा है । देश में न तो डर का कोई माहौल है , न कोई डरा रहा है , न कोई डर रहा है । देश को कोई खतरा नहीं , देश जनता के मजबूत बाजुओं में सुरक्षित है । डरो मत डरो मत का शोर मच रहा है । डरा कौन है गौर करो , तुम्हीं डरे हुए हो तुम्हें ही लगता है कि तुम खतरे में हो । शायद इसी लिए इंडिया में रहते हुए अपना अलग इंडिया बना रहे हो ? जो लोग तुम्हारे खिलाफ ही राजनीतिक दल बनाकर राजनीति में उतरे थे , अब उन्हें ही डरा रहे हो ? अरे भाई , देश सबका है। डरने की क्या जरूरत ? भारत को कोई खतरा नहीं ,आप खतरे से बाहर हैं। देश के किसी आदमी को कोई खतरा नहीं । आप को सोचना है तो आप सोचिए पर डरिए नहीं। समस्याएं हैं परंतु देशवासी खतरे में नहीं हैं।*

*भुवनेश्वर पारीक हिंदू
अध्यक्ष
ग्लोबल हिंदू संगठन
जयपुर

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.