आज है वाल्मीकि समाज के लिए बहुत ही खास और महत्वपूर्ण पर्व गोगा नवमी, जानिए क्यों और कैसे मनाया जाता है यह त्योहार?
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 8सिंतबर। हमारा देश विविधताओं का देश है और यह विविधता त्योहारों में भी देखने को मिलती है. आमतौर पर होली, दिवाली और रक्षाबंधन जैसे बड़े त्योहारों के बारे में सभी जानते हैं लेकिन कुछ ऐसे त्योहार भी होते हैं जो कि सीमित क्षेत्र और समुदाय के बीच मनाए जाते हैं. हमारा देश विविधताओं का देश है और यह विविधता त्योहारों में भी देखने को मिलती है. आमतौर पर होली, दिवाली और रक्षाबंधन जैसे बड़े त्योहारों के बारे में सभी जानते हैं लेकिन कुछ ऐसे त्योहार भी होते हैं जो कि सीमित क्षेत्र और समुदाय के बीच मनाए जाते हैं. उनमें से एक गोगा नवमी भी है, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं. बता दें कि हर साल भाद्रपद माह की नवमी तिथि के दिन गोगा नवमी का पर्व मनाया जाता है. यह पर्व वाल्मीकि समाज के लिए बहुत ही खास और महत्वपूर्ण होता है. इस दिन विशेषतौर पर नागों का पूजन किया जाता है और महिलाएं अपने संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. गोगा नवमी का पर्व मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार आज यानि 8 सितंबर को गोगा नवमी का त्योहार मनाया जा रहा है. आइए जानते हैं गोगा नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व.
गोगा नवमी 2023 शुभ मुहूर्त
गोगा नवमी के दिन नागों का पूजन किया जाता है और गोगा देव नागों के देवता माने जाते हैं. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 36 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. वहीं शाम के समय पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 1 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 35 मिनट तक रहेगा.
गोगा नवमी का महत्व
गोगा नवमी का व्रत खासतौर पर संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है. जिन दंपतियों के संतान नहीं है वह इस दिन संतान प्राप्ति की कामना से गोगा देव का पूजन करते हैं. कहते हैं कि इससे इस दिन व्रत रखने से निसंतान दंपतियों की मनोकामना पूरी होती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार राजस्थान के महापुरुष गोगाजी का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था. इसलिए इस तिथि को गोगा नवमी से जाना जाता है. गोगाजी को सांपों का देवता भी कहा जाता है और इस रूप में इन्हें पूजा भी जाता है. गोगा देव को जाहरवीर गोगा राणा या जाहरपीर गोगा जी जैसे नामों से भी जाना जाता है.
गोगा देव को राजस्थान के लोग सांपों के देवता मानते हैं और इसी रुप में उनकी पूजा की जाती है. गोगाजी की मां बाछल देवी नि:संतान थी, संतान को पाने के लिए उन्होंने तपस्या की थी. बाछल देवी की तपस्या देखकर गुरु गोरखनाथ बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने बाछल देवी को पुत्र का वरदान दिया, जिसके बाद गोगा देव का जन्म हुआ.
गोगा नवमी की पूजन विधि
गोगा नवमी के दिन सांपों का पूजन किया जाता है. इस दिन सुबह स्नान आदि कर भोग का खाना बनाएं. भोग के लिए खीर, चूरमा और गुलगुले बनाएं जाते हैं. फिर महिलाएं वीर गोगा जी की मिट्टी से मूर्ति बनाकर उनकी पूजा करती है और उन्हें भोग लगाती हैं. कई स्थानों पर गोगा देव की घोड़े पर चढ़ी हुई मूर्ति का पूजन किया जाता है. इस दिन घोड़े को दाल खिलाई जाती है. मान्यता है कि रक्षाबंधन के दिन बहनें भाई को जो राखी बांधती हैं वह गोगा नवमी के दिन खोलकर गोगा देव को अर्पित की जाती है. साथ ही उनसे रक्षा की प्रार्थना की जाती है.